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पोलैंड सरकार की नीतियों के खिलाफ 5 सौ ट्रैक्टर लेकर पहुंचे किसानों ने दफ्तर पर फेंके अंडे

by NewsDesk - 17 Feb 24 | 273

वारसा । पोलैंड के किसान देश की सरकार की नीतियों के खिलाफ लगातार विरोध-प्रदर्शनों कर रहे हैं। वे यूरोपीय यूनियन का भी विरोध कर रहे हैं। बीते दिन विरोध-प्रदर्शन में ईयू के मुख्यालय पर किसानों ने अंडे फेंके। 500 ट्रैक्टर के साथ एक हजार किसान सड़कों पर हैं। 20 फरवरी को देश की सीमाएं सील करने की चेतावनी दी है।पोलैंड के किसानों ने पश्चिमी शहर व्रोकला में गुरुवार को जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने यूरोपीय यूनियन की ऑफिस पर अंडे भी फेंके। आगजनी की और ईयू ग्रीन डील के खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया।

किसानों ने यूक्रेन के साथ सभी सीमा क्रॉसिंगों की पूर्ण नाकाबंदी और 20 फरवरी को राजधानी वारसॉ में एक बड़े विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। किसानों ने ना सिर्फ यूक्रेन की सीमाएं बल्कि कम्यूनिकेशन सेंटर से लेकर ट्रांसशिपमेंट्स, रेलवे स्टेशनों और समुद्री बंदरगाहों को भी सील करने की चेतावनी दी है। यूरोपीय किसान उसी दिन पहले से घोषित स्टार मार्च में सभी दिशाओं से वारसॉ पहुंचेंगे। वहीं 22 फरवरी को चेक गणराज्य के किसान भी मध्य और पूर्वी यूरोप के किसानों के साथ विरोध-प्रदर्शन में शामिल होंगे और अपने देश की सीमाओं को सील करेंगे।

यूरोपीय देश में किसान ट्रैक्टर के साथ पिछले कई दिनों से सड़कों पर हैं। पूरे यूरोप में किसान जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए यूरोपीय यूनियन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का विरोध कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि पाबंदियों की वजह से किसानी की लागत बढ़ रही है, मुनाफा कम है। पड़ोस के यूक्रेन युद्ध का भी पोलैंड के किसानों पर गंभीर असर पड़ा है। गुरुवार के विरोध-प्रदर्शन में लगभग एक हजार की संख्या में किसान 500 ट्रैक्टर और अन्य कृषि में इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों के साथ सड़क पर उतरे। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में किसानों को पोलिश झंडे, बैनर और कुछ मामलों में फ़्लेयर लिए हुए सड़कों पर मार्च करते देखा गया। किसान क्षेत्रीय सरकारी मुख्यालय के सामने इकट्ठा हुए जहां उन्होंने टायरों में आग लगा दी, जिससे पूरा इलाका धुआं-धुआं हो गया। पोलैंड के किसान यूक्रेन से सस्ते खाद्य आयात का विशेष रूप से विरोध कर रहे हैं। मसलन, स्थानीय किसानों का अनाज खरीदे जाने के बजाय सरकार पड़ोसी यूक्रेन से सस्ते में इंपोर्ट करती हैं। यही वजह है कि पिछले शुक्रवार से किसान 30-दिवसीय हड़ताल पर हैं। इस बीच यूक्रेन के साथ लगने वाली कुछ सड़कों को किसान ने ब्लॉक भी कर दिया है।

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