रिपोर्ट....सचिन बहरानी
इंदौर शहर ने एक बार फिर देशभर को प्रेरित करने का काम किया। शहर में 35 वर्षीय ब्रेन डेड महिला के अंगों के त्वरित परिवहन के लिए 41वीं बार ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया। चोइथराम हॉस्पिटल से एक किडनी बॉम्बे हॉस्पिटल और एक किडनी सीएचएल हॉस्पिटल भेजी गई, जबकि लिवर का ट्रांस्प्लांट चोइथराम अस्पताल में ही किया गया।
अंगदान के मामले में पूरे देश के लिए मिसाल बनने वाले इंदौर में अंगदान का सिलसिला जारी है। शहर में 41वीं बार ग्रीन कॉरिडोर बना और अंगदान के जरिये जरूरतमंद व्यक्ति को नया जीवन मिला। 37 वर्षीय इंदौर निवासी नेहा चौधरी को इलाज के लिए 12 सितंबर को चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उपचार दौरान उनकी मौत हो गई। ब्रेन डेड होने की स्थिति में मानव कल्याण को ध्यान में रखते हुए उनके परिवार ने उनके अंगदान की इच्छा जताई। इसके बाद विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने उन्हें 18 सितंबर को सुबह करीब 10 बजे प्रथम ब्रेन स्टेम डेथ टेस्ट और फिर शाम करीब सवा 4 बजे द्वितीय ब्रेन स्टेम डेथ टेस्ट कर ब्रेन डेड घोषित किया। इसके बाद लीवर चोइथराम हॉस्पिटल, एक किडनी सीएचएल हॉस्पिटल एवं एक किडनी बाम्बे हॉस्पिटल इंदौर में जरूरतमंद रोगियों को प्रत्यारोपण के लिए भेजी गई।
इंदौर सोसाइटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के अध्यक्ष व संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा और सचिव व महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय जी दीक्षित की अगुवाई में अंगदान के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। उधर परिजनों ने बताया कि नेहा चौधरी की इच्छा के मुताबिक ही उन्होंने उनके अंगों को दान करने का फैसला किया ताकि जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन मिल सके। उन्होंने लोगों से भी अंगदान करने की अपील की।बता दें कि सितंबर को ही 40वां ग्रीन कॉरिडोर बना था.. तब यहां से भोपाल जरूरी अंग प्रत्यर्पण के लिए भेजे गए। बहरहाल अंगदान क्षेत्र मे इंदौर लगातार मिसाल बन रहा है।