जबलपुर। जनजातियों की एक गौरवशाली और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है, जनजातियों के जीवन स्तर को बेहतर करने के लिए तमाम सरकारें प्रयास करने में जुटी हुई है, दर्जनों ऐसी स्कीम चलाई गई है जिसके जरिए जनजातियों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं अब ऐसी ही जनजातियों के सामाजिक , सांस्कृतिक जीवन का अध्ययन करने के लिए शोध कार्य भी शुरू हो गया है महाकौशल की जनजातियों के सामाजिक सांस्कृतिक जीवन की प्रवृत्तियों में परिवर्तन एवं निरंतरता अवधि काल सन 1818 ईस्वी से सन् 2020 ईस्वी तक इस पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर की रिसर्च स्कॉलर श्रीमती प्रज्ञा सिंह रिसर्च कर रही है, यह शोध डॉक्टर सुभाष चंद्र शर्मा एचओडी इतिहास विभाग रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन पर किया जा रहा है, आपको बता दें इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च ने 80 उम्मीदवारों का चयन इतिहास से जुड़े विषयों पर शोध करने के लिए किया हैं हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च ने जूनियर रिसर्च फैलोशिप का परिणाम घोषित किया गया है जिसमें महिला वर्ग से श्रीमती प्रज्ञा सिंह ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है उन्होंने 160 में से 126 नंबर प्राप्त किए हैं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की है शिक्षा
श्रीमती प्रज्ञा सिंह ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से इतिहास में मास्टर की डिग्री प्रथम श्रेणी से प्राप्त की है, और अब वे जूनियर रिसर्च फैलोशिप प्राप्त करके महाकौशल की जनजातियों के सामाजिक आर्थिक जीवन की प्रवृत्तियों में परिवर्तन एवं निरंतरता पर रिसर्च कर रहे हैं आपको बता दें कि जूनियर रिसर्च फैलोशिप उन उम्मीदवारों को परीक्षा उपरांत मेरिट के आधार पर प्रदान की जाती है जो पीएचडी के लिए किसी विश्वविद्यालय में रजिस्टर्ड होते हैं उनके दर्शाए विषय पर रिसर्च का अवसर दिया जाता है श्रीमति प्रज्ञा सिंह को इस विषय पर शोध करने के लिए 2 साल का वक्त दिया गया है इस फेलोशिप के दौरान उनको प्रति महीने ₹17600 मानदेय की प्रदान किया जाएगा।
जनजातियों के पुरातन और वर्तमान स्वरूप को सामने लाना पहला लक्ष्य
जूनियर रिसर्च फैलोशिप प्राप्त प्रज्ञा सिंह ने बताया कि जनजातियों के पुरातन और वर्तमान स्वरूप को सामने लाना मेरा पहला लक्ष्य है लगातार में जनजातियों के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को करीब से देखती रही हूं इस वर्ग के ऐतिहासिक पहलू और सामाजिक दृष्टिकोण को सम्यक रूप से सामने लाना और इनके वर्तमान जीवन को भी देश के सामने प्रकट करना इस विषय पर मैं जुटी हुई हूं, महाकौशल के जनजाति जिलों मैं जाकर रिसर्च के जरिए कोशिश होगी कि जनजातियों की सामाजिक स्थिति एवं प्रवृत्तियों में जो परिवर्तन एवं निरंतरता है उस पर अध्ययन किया जाए और उसे देश के सामने लाया जाए
आईपीएस ऑफिसर पति अमित सिंह प्राप्त कर चुके हैं यूजीसी फैलोशि
श्रीमती प्रज्ञा सिंह के पति 2009 बैच के आईपीएस ऑफिसर अमित सिंह भी यूजीसी की फेलोशिप प्राप्त कर चुके हैं, उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में 5 साल तक प्रोफेसर के रूप में विद्यार्थियों को इतिहास विषय पर शिक्षा दी है अमित सिंह के प्रोफ़ेसर काल के दौरान पढ़ाए गए विद्यार्थी देश के राज्यो में आईएएस आईपीएस के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं, अमित सिंह वर्तमान में भी लगातार संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को फेसबुक यूट्यूब और विभिन्न माध्यमों से शिक्षा दे रहे हैं।