रिपोर्ट.... सचिन बहरानी
हमीदिया अस्पताल के दुखद हादसे के बाद इंदौर स्वास्थ विभाग भी नींद से जागा आखिर इंदौर के अस्पतालों की सुरक्षा की दृष्टि से क्या स्थिति है इसका जायजा लेने के लिए इंदौर मीडिया की टीम बच्चों के अस्पताल चाचा नेहरू जा पहुंची तो वहां पर सुरक्षा की दृष्टि से कई खामियां नजर आई.
न्यूज़ की टीम को देखते ही ताबड़तोड़ अस्पताल कर्मी अग्निशमक यंत्र (fire extinguisher) वार्ड के बाहर लगाने लगे हमने जब सिलेंडर की एक्सपायरी डेट देखी तो 1 दिन बाद एक्सपायर होने वाले सिलेंडर मिले इसका मतलब 11 तारीख को सिलेंडर को वापस से रिफिल कराना है, 22 सिलेंडर अस्पताल के वार्डों के बाहर लगी होने का चाचा नेहरू अस्पताल के सुपरिटेंडेंट हेमंत जैन जरूर कर रहे हैं लेकिन वास्तविकता में 22 सिलेंडर कहीं नजर नहीं आए 8 से 10 सिलेंडर वार्डो के बाहर लगे मिले जिसमें अधिकार सिलेंडर की स्थिति यह थी कि उन्हें रिफिल कराना है, अस्पताल के अंदर चारो तरफ गंदगी का अंबार, नई एमरजैंसी लिफ्ट भी बंद मिली वही कई जगह हाई वोल्टेज इलेक्ट्रिक लाइट के वायर स्विच बॉक्स भी खुले मिले जो किसी बड़े खतरे को दावत देते नजर आए। अस्पताल के कैंपस में ही खुले वायर के आसपास खराब बेड भी पड़े मिले जिसमें रुई भरी हुई थी अगर कभी आग की स्थिति बनी तो काफी तेजी से आग की लपटों में कैंपस घिर सकता है वही अस्पताल के अंदर आने और निकलने के लिए दो मार्ग मिले लेकिन इमरजेंसी फायर एग्जिट दरवाजा नहीं मिला इसके लिए सुपरिटेंडेंट ने कहा अस्पताल पुराना है इसलिए यहां पर कोई भी आपातकाल निकासी की व्यवस्था नहीं है, अगर देखा जाए तो बच्चों के अस्पताल में जो खामियां मिली है वह स्वास्थ विभाग की सुरक्षा की पोल खोलने के लिए काफी है और हम इंदौर के अधिकारियों से अपील करते है कि बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं करें जो हादसा भोपाल के हमीदिया अस्पताल में हुआ है वह किसी भी अस्पताल में हो सकता है हादसों के बाद सजग होने से पहले हैं कि हादसे होने ना दें। फिलहाल इंदौर के चाचा नेहरू अस्पताल जानकारी से मीडिया ने अस्पताल की कमी को उजागर किया जिसका मकसद सुरक्षा पर्याप्त हो अब देखना होगा कि क्या अस्पताल प्रबंधन और ज़िम्मेदार अपने काम को पूरी तरह करते हुए कितने समय मे पूरा करते है...