चंबल में हथियारों को हमेशा ही स्टेटस सिंबल माना जाता रहा है। कंधे पर लाइसेंसी बंदूक होना ही चाहिए.. जमीन बेचनी पडे या किसी ओर तरीके लेनी पड़ी। यादि लाइसेंसी नहीं है, तो अवैध हथियार तो होगा ही। यही कारण है कि एमपी में सबसे ज्यादा बंदूकें चंबल इलाके में हैं। आज हालात यह हैं कि ग्वालियर में लाइसेंसी हथियार 33 हजार 700 तक पहुंच गए हैं। यह संख्या प्रदेश के 52 जिलों में सर्वाधिक है। अगर अनुमान लगाया जाएं. तो ग्वालियर के 8 वें व्यक्ति के पास बंदूक है, जो घातक है... आप समझ सकते है।
ग्वालियर-चंबल में हथियारों की संख्या करीब डेढ़ लाख है। यह प्रदेश में जारी लाइसेंस का 38 फीसदी है। इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि हथियारों का सबसे ज्यादा क्रेज ग्वालियर-चंबल संभाग में है। लोग अपना घर बेचकर... या गिरवी रखकर भी हथियार खरीद लेते हैं। मौजूदा स्थिति मे फेसबुक - व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया में एक्टिव जेनरेशन में भी विरासत में मिला हथियारों का क्रेज नजर आ रहा है....।
ग्वालियर अंचल के हथियारों की संख्या_
GFX IN.....
- ग्वालियर में 33 हजार 700
- मुरैना के 29 हजार 650
- भिंड जिले में 26 हजार 650
- शिवपुरी में 13 हजार 87
- दतिया में 11 हजार 675
- श्योपुर में 4 हजार 93
GFX OUT.......
चंबल में बढ़ते बंदूक के क्रेज को लेकर हर वर्ग के लोग चिंतित है। क्योंकि हो भी प्रत्यक्ष ओर प्रत्यक्ष रूप से इन बंदूकों का शिकार हो जाते है।
हथियारों के क्रेज का अंदाजा इसी से लगता है कि कलेक्टर, एडीएम से मिलने वाला हर तीसरा व्यक्ति लाइसेंस की फरियाद ही करता है। सिर्फ ग्वालियर कलेक्ट्रेट में ही इन दिनों 1100 आवेदन लंबित हैं। वहीं पुलिस के अलग-अलग दफ्तरों में 3700 आवेदन अभी प्रक्रिया में हैं। इसके बाद भी आवेदनों की रफ्तार थमी नहीं है। हर सप्ताह 80-90 आवेदक हथियार लाइसेंस के नए आवेदन लेकर कलेक्टर के पास पहुंचते हैं। साथ ही 600 आवेदनों को अभी ही निरस्त किया गया है। वहीं इस मुद्दे पर भी राजनीति है.... कांग्रेस ओर बीजेपी क्या कहती है, आप भी सुन लीजिए।
लाइसेंसी हथियार का शौक सिर्फ आम लोग या जन प्रतिनिधियों को ही नहीं है, अफसर और उनकी पत्नियों को भी है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह व निगम आयुक्त किशोर कन्याल के नाम भी पिस्टल-रिवाल्वर का लाइसेंस है। लाइसेंसी हथियार रखने वाले अफसरों की सूची में ग्वालियर के एसडीएम सीबी प्रसाद, अनिल बनवारिया, अशोक चौहान, प्रदीप सिंह तोमर सहित कुछ अन्य अधिकारी भी शामिल हैं। कलेक्टर कार्यालय से केंद्रीय व राज्य मंत्री के अलावा सांसद-विधायकों के नाम भी पूर्व में लाइसेंस जारी हुए हैं।