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  • Friday, Nov 22, 2024

विशुद्ध मन और देवमयी बुद्धि के दाम्पत्य से भगवान का प्रकाट्य, नाचे युवा

by NewsDesk - 16 Mar 22 | 173

-फूलबाग में संत रमेशभाई ओझा की श्रीमद्भागवकथा का पांचवा दिन, मलूकपीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज आए
ग्वालियर। सांई भक्त मंडल ट्रस्ट द्वारा फूलबाग सांईधाम में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन रमेशभाई ओझा ने कथा ज्ञानामृत से श्रद्धालुओं का तृप्त किया, वहीं नंदोत्सव के दौरान नंद के आनंद भयो जय कन्हैलालाल की....पर श्रद्धालु श्रोता नाचने पर विवश हो गए।गोवर्धन भगवान का छप्पन भोग लगाए गए। इस मौके पर मलूकपीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज, दंदरौआ के संत रामदास महाराज, आबा मठ के महाराज प्रमुख रूप से मौजूुद रहे, जिनसा कथा के मुख्य मार्गदर्शक अनूप मिश्रा ने स्वागत सम्मान किया।
संत रमेशभाई ओझा ने कहा कि देवकी और वसुदेव जैसे माता-पिता होते हैं तभी  उनके घर श्रीकृष्ण जन्म लेते हैं। विशुद्ध मन वसुदेव हैं और देवमयी बुद्धि देवकी। सत्कर्म करते करते तुम्हारा मन विशुद्ध और सत्संग करते करते बुद्धि देवकी यानि देवमयी हो जाती है। जब मन विशुद्ध और बुद्धि देवमयी हो जाए तो फिर उनका विवाह करो। फिर उनके मिलन से जो संतान पैदा होगी वो श्रीकृष्ण जैसी होगी। विशुद्ध मन और देवमयी बुद्धि के दाम्पत्य से भगवान का प्रकाट्य हुआ। उन्होंने कहा कि जो औरों को यश दे वो यशोदा और जो आनंद से भरा हुआ वो नंद है। इंद्रियों के द्वारा भगवान का स्मरण करती है वो गोपी है।  आंखों से दर्शन, कान से भगवान की कथा श्रवण, जिव्हा से प्रभु नाम का संकीर्तन करना चाहिए।उन्होंने कहा कि पति अपनी कमाई से मकान तो बना सकता है, लेकिन घर तभी बनता है जब घर में पत्नी आती है, इसलिए उसे घरवाली कहते हैं। जो स्त्रियां खुद को गृहणी कहने में संकोच करती हैं, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि घर को बनाना कोई साधारण काम नहीं हैं। धर्म अध्यात्म में पति  आगे चले और पत्नी उसका अनुशरण करे।
उन्होंने कहा कि आजकल सबकुछ अच्छा होते हुए भी लोग दूखी रहते हैं। खुश रहने का पर्याप्त कारण रहने पर भी खुश नहीं रहते हैं, यह प्रवत्ति ठीक नहीं हैं। जब सब कुछ अच्छा चल रहा हो, तो आनंद से रहें और जीवन में आनंदित रहने के लिए भगवान का धन्यवाद करें, क्योंकि संसार में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें खुशी नसीब नहीं होती, इसलिए मौज मेें रहो। जो लोग प्रभुकृपा से आनंद में रहते हैं, युद्ध भी उनके लिए उत्सव हो जाता है। भीतर का ब्रह्मानंद जब क्रिया में प्रकट होता है तो आनंदोत्सव बन जाता है। इस प्रकार का उत्सव गोकुल में हुआ। उन्होंने कहा उदाहरण देते हुए कहा कि राजा महल में रहता है लेकिन उसका भय उसके समूचे राज्य मेें रहता है। इसी तरह परमात्मा सर्वत्र है। उसकी सत्ता सर्वोपरि है,इसलिए कोई ऐसा काम मत करो,जिससे परमात्मा का भय हो। उन्होंने कहा कि संसार के तेज को देखने के लिए बाहर के प्रकाश को देखने के लिए अंाखों में प्रकाश होना जरूरी है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि सोते मत रहो। शरीर में किस तरह फंशनिंग हो रही है उसे देखो। आप संसार में क्यों हो इसका चिंतन करो। भगवान ने भी अपने प्रकाट्य का हेतु बताया। हम विभिन्न प्रकार का भोजन करते हैं, लेकिन उससे जो रक्त बनता है उसका रंग सभी का लाल होता है।
क्रिया और कर्म में भेद करते हुए उन्होंने कहा कि क्रिया प्रकृति की सहज प्रक्रिया है। हवा का चलना, सूरद का उदय होना, बारिश होना, सुनामी आना, अकाल पड़ना ये प्राकृतिक क्रियाएं हैं, लेकिन कर्म अच्छा किया तो प्रशंसा और बुरा किया तो गालियां पड़ती हैं। कर्म पाप-पुण्य पर निर्भर है। क्रिया में बांधने की शक्ति नहीें। पाप-पुण्य दोनों का बंधन है। कृतित्व का अभिमान और कर्मफल की वासना दोनों मिलकर बांधते हैं। स्वर्ग सुख भी शास्वत नहीं हैं। पुण्य क्षीण हुए तो दोबारा मृत्यु लोक में जाना पड़ता है। इस मौके पर बीज विकास निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल, भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक शर्मा, सांई भक्त मंडल ट्रस्ट के अध्यक्ष योगेश शुक्ला, आनंद सावंत, रिटायर डीएसपी केडी सोनकिया, संजय शर्मा, सुनील पटेरिया, कमल शर्मा, ब्रजेश राजपूत सहित हजारों की तादाद में श्रद्धालु श्रोता मौजूद रहे।
संकीर्तन में विभोर हो नाचे युवा
संत रमेशभाई ओझा एक ओर अपनी पीयूष वाणी से कथामृत की वर्षा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रामकृष्ण का संकीर्तन कर श्रद्धालु श्रोताओं को आनंद विभोर कर कथा पांडाल में नाचने पर विवश कर रहे हैं। सोमवार की कथा में उन्होंने विभिन्न भाषाओं में भजनों की प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को आनंद से भर दिया। मराठी अभंग में वि_लजी की स्तुति और मीठे रस से भरो भजन.....से श्रोता खड़े होकर नाचने पर विवश हो गए। इस संगीतमय संकीर्तन के उत्सव में उनके संगतकार भी विभिन्न वाद्ययंत्रों के माध्यम से नाद ब्रह्म की उपासना कर रहे हैं। हारमोनियम पर बालकृष्ण व्यास बैंजो पर इंद्रजीत राज्यगुरू, वायोलिन पर मदनलाल सिन्हा, तबले पर मुकेश रावल, मंजीरे पर धर्मेश भाई, बांसुरी पर विजय महापात्रा सुरीली तान छोड़ कथा पांडाल को कृष्णमयी बना रहे हैं।

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