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भावुक हो संत रमेशभाई के पीछे पीछे चल दिए श्रद्धालु, अनूप ने मंच से किया शिवकथा का अनुरोध तो व्यासपीठ ने दी मौन सहमति

by NewsDesk - 17 Mar 22 | 135


ग्वालियर। भगवान राम जब वन को गए तो अयोध्या के लोग इतने भावुक हो गए कि लोग उनके पीछे पीछे चल दिए। कुछ ऐसा ही दृश्य सांईभक्त मंडल ट्रस्ट द्वारा फूलबाग सांईधाम में आयोजित की गई श्रीमद्भागवत कथा के समापन के बाद बुधवार को देखा गया। संत रमेशभाई ओझा की विदाई का वक्त आया तो लोग उनके पीछे पीछे हो लिए। कई श्रद्धालु तो उनके भावुक हो गए कि उनके पलकों की कोरें गीली हो गईं। संत रमेशभाई बुधवार की शाम ही वायुमार्ग से ग्वालियर से रवाना हो गए। अं्तिम दिन की कथा में करहधाम के संत प्रमुख रूप से मौजूद रहे
भावुकता का यह क्रम सिर्फ पांडाल में बैठे श्रोताओं तक सीमित नहीं था। कथा आयोजन की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा भी इतने भावुक थे कि उन्होंने अपने संबोधन में भी मनोभावों को व्यक्त करने से स्वयं को रोक नहीं पाए। उन्होंने कहा कि आज मन भारी है। आठ दिन यह अहसास ही नहीं हुआ कि क ब सुबह हुई और कब रात हो गई पता ही नहीं चला। मन भाईश्री को छोड़ने का नहीं कर रहा है। अब जहां भी संत रमेशभाई ओझी की कथा होगी, वे उसमें पहु्ंचेंगे और जो भी सेवा होगी करेंगे। उन्होंने कहा कि जैसे भरत ने खड़ाई रखकर राम का 14 साल इंतजार किया, वैसे ही हम ग्वालियर में अगली कथा का इंतजार करेंगे, लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि यह इंतजार अब 17 साल लंबा नहीं होगा। अगले दो साल के भीतर हमें भाईश्री के श्रीमुख से शिव कथा सुनने को मिलेगी और हम सभी उसे सुनने के लिए आतुर रहेंगे। संत रमेशभाई ओझा ने भी अगली कथा के लिए व्यासपीठ से मौन स्वीकृति दी। उन्होंने कहा कि अगली कथा के आरंभ तक यह कथा ग्वालियर के श्रद्धालु श्रोताओं के मानस पटल पर अंकित रहेगी।
मीडिया की भूमिका को सराहा......
इस मौके पर उन्होंने कथा के आयोजक सांईभक्त मंडल ट्रस्ट, मुख्य यजमान मूंदड़ा परिवार, ओम हरि, नारायण प्रसाद शर्मा, रामनिवास शर्मा, कलेक्टर, निगमायुक्त पुलिस अधीक्षक का आभार व्यक्त किया। मीडिया की सराहना करते हुए कहा कि अखवारों में पूरी कथा छपना तो संभव नहीं होता, लेकिन संत रमेशभाई जो संदेश देना चाहते थे, वो समाचार पत्रों में जरूर छपा। संत रमेशभाई ओझा ने भी मंच से मीडिया की भूमिका को सराहाते हुए कहा कि कथा को जन जन तक पहुंचाने के लिए सभी पत्रकार साधुवाद के पात्र हैं। उन्होंने सभी को होली की शुभकामनाएं दीं।
सफाईकर्मियों का किया सम्मान......
कथा से पूर्व निगमायुक्त ने श्रीमिश्रा से अनुरोध किया था कि संत रमेशभाई सफाई पर जरूर बोले, क्योंकि संतों की वाणी का लोगों पर जरूर प्रभाव पड़ता है, साथ ही कथा पांडाल में साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए। इस कार्य में लगे निगम कर्मियों ने पूरी कथा के दौरान अपने श्रम से साफ-सुथरा रखा, जिसके लिए अनूप मिश्रा ने सभी सफाई कर्मियों को प्रमाण-पत्र और 500-500 रुपए नकद देकर सम्मान किया। अंतिम दिन तीन सैकड़ा साधुओं को भी सांई भक्त मंडल ट्रस्ट की ओर सी दक्षिणा दी गई।
अंतिम दिन कथा का श्रवण कराते हुए संत रमेशभाई ओझा ने कहा कि कलयुग में भगवान का प्राप्त करना बहुत कठिन है। सिर्फ भगवान का नाम लेने और उनके नाम का संकीर्तन करने से ही भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वासना से दूषित प्रेम में पागल युवक एसिड अटेक कर युवतियों का चेहरा बिगाड़ देते हैं, ऐसे लोगों को कठोर दंड मिलना चाहिए। प्रेम करना है तो श्रीकृष्ण से सीखो। उन्होंने कहा कि रिश्तों को अहमियत दो, लेकिन रिश्तों से आशक्ति मत करो। आशक्ति परमात्मा में करो क्योंकि नश्वर शरीर एक दिन साथ छोड़ देगा और रिश्ते नाते सब छोड़कर जाना होगा, लेकिन परमात्मा में आशक्ति हो गई तो शरीर त्यागने का बाद परमात्मा का धाम मिलेगा।
उन्होंने अंतिम दिन भी शुिद्ध पर बोलते हुए कहा कि समाज, राजनीति, धर्म, पत्रकारिता को शुद्ध करने की जरूरत है, क्योंकि इन सभी क्षेत्रों में आसुरी प्रवत्ति वाले लोग घुसे हुए हैं। आसुरी वृत्ति को समाप्त करके शुद्ध करने की जरूरत है। और ये इन क्षेत्रों को अशुद्ध कर रहे हैं। नदियों के प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि नदियों में नगरीय निकाय की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से वे गंदी हो रही हैं, जिससे जल के साथ वायु भी दूषित हो रही है।
उन्होंने यह भी कहा
-घी का दिया न जला पाओ तो प्रेम का दिया जला लो
- जिस किसी भाव से भी भगवान को भजो, तुम्हारा कल्याण निश्चत।
-जिस तरह महिलाएं पतियों के सजती हैं, भगवान के मंदिर जाएं तो भगवान को दिखाने के लिए श्रंृगार करके जाएं।
-गायन,वादन,नर्तन तीनों का समुच्य संगीत
-मां का दूध सर्वोत्तम, बचपन में बोतल से नाता जुड़ गया तो अंतिम समय तक नहीं छूटता।
-मैंने लॉकडाउन में संपूर्ण भागवत के मंत्रों की रिकॉर्डिग की है, जो जल्द ही श्रद्धालुओं को उपलब्ध हो जाएगी।
-नारी की अष्टभुजा दुर्गा से तुलना करके उसे मल्टी टास्क करने वाली बताकर कहा नारी का सम्मान करो।

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