- रंग पंचमी पर सज गया है लव कुश जानकी दरबार महर्षि वाल्मीकि जी के साथ
(भारतेन्दु सिंह बेस)
मुंगावली. देश भर के साथ साथ मध्यप्रदेश में यही एक ही मंदिर है जिसमे भगवान राम जी के बिना सीता माता जी की पूजा होती है जबकि देश के हर मंदिर में राम जानकी दरबार जाता है. यहां पर मां जानकी की प्रतिमा के साथ साथ लव कुश और उनके गुरु महर्षि वाल्मीकि जी विराजान है जबकि भगवान राम जी विराजमान नही है .
बताया जाता है कि जब भगवान राम ने सीता मां का त्याग किया था तो यह बही स्थान है जहा पर महर्षि वाल्मीकि आश्रम में रुकी थी और लव कुश का जन्म हुआ था. लोगो की माने तो करील के अत्यधिक वृक्ष होने के कारण इसका स्थान कारीला भी पढ़ा बतायाजाता है कि नव नृत्यणायो सबसे पहले अपना नृत्य माता जानकी के दरबार में नृत्य न करके शुरू करती है और लव कुश के जन्म का उत्सव मनाने रंग पंचमी पर करीला माता का मंदिर भव्य सजाया जाता है जिसको चलते आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ता है मान्यता पुरी हो जाने पर यहा पर लगने वाले मेले में प्रति दिन हजारों नत्यांगाओ पुरी रात नगड़िया की ढाप पर राई नृत्य करती है जिसमे पूरा वातावरण नगड़िया और घुंगरियो से गूंजता रहता है.
साल भर में सिर्फ एक बार महर्षि वाल्मीकि जी की गुफा को भी खोला जाता है
सोमवार से शुरू हुआ रंग पंचमी मेले में तीन दिवस का यह मेला शुरू हुआ जिसमे देश भर के श्रद्धालु पहुंच रहे हैं
रंग पंचमी पर लगने वाले मेले में महर्षि वाल्मीकि आश्रम में बनी गुफ़ा सिर्फ एक बार ही खोली जाती है और इस स्थान को रामायण कालीन आश्रम माना गया है
रंग पंचमी पर पहुंचते हैं लाखो श्रद्धालु
होली से शुरू हुआ यह मेला रंग पंचमी तक चलता है जिसमे देश भर से लाखो श्रद्धालु पहुंचते हैं वैसे भी प्रतिदिन याहा पर हजारों की संख्या में आसपास से श्रद्धालु का पहुंचने का तांता लगा रहता है पर खास महत्व माता जानकी के पुत्र लव कुश के जन्म दिवस पर 25 से 30 लाख श्रद्धालु राई नृत्य और जानकी माता और लव कुश का जन्म दिन मानने पहुंचते हैं