ग्वालियर के मंदिरों के आसपास जो गौशालाओं की जमीनों पर कब्जा होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से जुड़ा हुआ है। जहां रानी घाटी पर मौजूद वृंदावन गौशाला पर की 1200 बीघा जमीन पर गांव के ही दबंग लोगों ने कब्जा कर लिया है। इस मामले को लेकर साधु-संतों ने कलेक्टर से लेकर सरकार से लोगों से गौशाला की जमीन को मुक्त कराने के लिए गुहार लगाई है। लेकिन नतीजा सिफर रहा है।
गौशाला संरक्षक संत ऋषभ देवआनंद का कहना है गौशालाओं के मामले में मध्य प्रदेश का ग्वालियर जिला एक ऐसा जिला है। जहां प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला लाल टिपारा में मौजूद है.... तो वहीं कमलनाथ सरकार के समय रानी घाटी पर बनाई गयी। वृंदावन नाम की गौशाला की बारह सौ बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया है। इस गौशाला के रखरखाव का जिम्मा... साधु-संतों के पास है। जिन्होंने लाल टिपारा गौशाला को संवारने का काम किया था। आज वहीं साधु-संत वृदावन गौशाला को संवारने में लगे हुए है।
प्रवक्ता कांग्रेस मध्य प्रदेश अजीत भदौरिया का कहना है ग्वालियर की रानीघाटी में मौजूद 1200 सौ बीघा जमीन गौशाला के लिए आंवटित तो कर दी गयी है। लेकिन जमीन के आधिकांश हिस्से पर गांव के दंबग लोगों का ही कब्जा है। जिसको लेकर लगातार सांधु-सतों का डेलिगेशन कलेक्टर से लेकर सरकार से लोगों से गौशाला की जमीन को मुक्त कराने के लिए गुहार लगाई है। लेकिन नतीजा सिफर रहा है। ऐसे में कांग्रेस शिवराज सरकार को आड़े हाथ ले रही है। वही ग्वालियर आशीष तिवारी प्रभारी कलेक्टर ग्वालियर का कहना है वहां के एसडीएम को टेलिफोन पर बात पर तत्काल गौशाला की जमीन के आसपास जिन लोगों ने कब्जा किया है या अतिक्रमण किया है हम उसको कटवाएंगे और उनके ऊपर कार्यवाही भी करेंगे।
ग्वालियर की गौशाला प्रदेश में इसलिए भी ज्यादा चर्चाओं में रहती है. क्योंकि एक समय था। ग्वालियर की गौशाला में हर रोज दो दर्जन से भी ज्यादा गायों की मौतें होती थी। तब नगर निगम, गौशाला का संचालन करती थी। लेकिन अब गौशाला का संचालन साधुसंत करते है। जिसकी वजह एक अकेली गौशाला में. 8 हजार से ज्यादा गौवंश है, साथ ही गौशालाएं आय का साधन बन रही है। लेकिन मौजूदा स्थिति में रानी घाटी की गौशाला की जमीन पर हुए कब्जें सांधु संत परेशान है।