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अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अलर्ट,चारों तरफ से घेर रही ISI, 7 जिलों में ATM को मिले 15 एजेंट

by NewsDesk - 18 Aug 23 | 87

अयोध्या। जनवरी 2024 में अयोध्या के राममंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। PM नरेंद्र मोदी समेत देश के बड़े नेता और VVIP इकठ्ठा होंगे। हालांकि, अयोध्या के आसपास के जिलों से लगातार ISI एजेंट्स, आतंकी और स्लीपर सेल मेंबर्स की गिरफ्तारी ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद से अगस्त, 2020 में बलरामपुर से एक आतंकी, फरवरी-जुलाई और सितंबर, 2021 में लखनऊ से कुल 4 आतंकी, सितंबर, 2021 में ही प्रयागराज, रायबरेली, और बहराइच से 3 आतंकी और अप्रैल, 2022 में गोरखपुर से एक आतंकी गिरफ्तार हुआ। 


ये सिलसिला रुका नहीं है। सबसे नए मामले में UP ATS ने 2 जुलाई को गोंडा से सद्दाम, 1 अगस्त को मुकीम, 16 जुलाई को रईस, 18 जुलाई को सलमान और अरमान नाम के ISI एजेंट और आतंकी गिरफ्तार किए हैं। इसी केस में 6 जुलाई को गोरखपुर से तारिक नाम का शख्स भी गिरफ्तार हुआ है। यूपी ATS को शुरुआती छानबीन में पता चला है कि इन सभी मामलों में आतंकियों को बाबरी मस्जिद के नाम पर भड़काया गया था। सभी स्लीपर सेल की तरह ट्रेंड किए गए थे और मिशन मिलने पर ही एक्टिव होने वाले थे। सवाल यही है कि क्या अयोध्या और राम मंदिर पर आतंकी खतरा मंडरा रहा है।

सद्दाम की पत्नी बोली- मेरे पास पैसे नहीं कि उसके लिए वकील करूं

यूपी ATS ने सद्दाम को 2 जुलाई को लखनऊ से गिरफ्तार किया। इसी दिन उसके साथी रिजवान को जम्मू-कश्मीर से अरेस्ट किया गया। सद्दाम का घर गोंडा से करीब 20 किमी दूर जेल रोड पर पठानपुरवा गांव में है। घर के अंदर घुसे, तो सामने एक बड़ा बरामदा है। मकान का काम बीच में रुक गया है। दीवारों पर प्लास्टर नहीं है, किचन और एक अधबना कमरा है। घर का दरवाजा खटखटाया, तो अंदर से सद्दाम की पत्नी रूबीना आईं। रूबीना के मुताबिक, सद्दाम के गिरफ्तार होने के बाद से कोई कमाने वाला नहीं है। सद्दाम को आतंकी कहकर पकड़ा था इसलिए अब कोई हमारी मदद भी नहीं कर रहा, रिश्तेदार ताने मारते हैं। बच्चों को स्कूल में लोग परेशान करते हैं और सरकारी दुकान से राशन मिलना बंद हो गया है। डीलर कहता है कि मामला सुलझने के बाद राशन देंगे।

रूबीना ने बताया कि सद्दाम पहले हिंदू था। उसका नाम रंजीत सिंह था। बेंगलुरु में NTC कंपनी का ट्रक चलाता था। 14 जून, 2010 को हमारी शादी हुई थी। पहले सब ठीक था, लेकिन जब वो बाहर गया, तो मुझसे भी बात करना बंद कर दिया था। हमने पूछा कि क्या सद्दाम से मिलने लखनऊ जाओगी, उसके लिए वकील करोगी। रूबीना ने जवाब दिया, ‘मेरे पास इतने पैसे नहीं कि बच्चों को ठीक से पाल सकूं, वकील कहां से करूंगी। हम किसी तरह दो वक्त के खाने का इंतजाम करते हैं। मेरे अंदर अब हिम्मत नहीं है। क्या आपको विश्वास है कि सद्दाम आतंकी है। इस सवाल पर रूबीना कहती हैं, अगर सब कह रहे हैं तो कुछ तो किया ही होगा, ऐसे ही कोई क्यों कहेगा।

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