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  • Wednesday, Dec 18, 2024

अब हर साल 23 अगस्त को देश मनाएगा National Space Day

by NewsDesk - 27 Aug 23 | 75

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बेंगलुरु स्थित इसरो कमांड सेंटर पहुंचे और वहां वैज्ञानिकों को संबोधित किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने 3 बड़ी घोषणाएं की. पीएम मोदी ने कहा कि चांद पर जिस पॉइंट पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा उस पॉइंट को शिवशक्ति के नाम से जाना जाएगा. एक अन्य घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 2019 में चंद्रयान-2 ने चांद पर जहां पदचिन्ह छोड़े थे उसे अब से तिरंगा (Tiranga) के नाम से जाना जाएगा. इसके अलावा तीसरा बड़ा ऐलान करते वक्त पीएम मोदी ने कहा कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 मून पर उतरा, अब से इस दिन को पूरा हिंदुस्तान नेशनल स्पेस डे के रूप में मनाएगा.


तिरंगा पॉइंट का नामकरण

पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रमा पर जिस स्थान पर चंद्रयान-2 अपने पदचिन्ह छोड़े हैं, वह प्वाइंट अब 'तिरंगा' कहलाएगा. ये तिरंगा पॉइंट भारत की हर कोशिश की प्रेरणा बनेगा, ये तिरंगा पॉइंट हमें सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती है. पीएम मोदी ने कहा कि इसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी लेकिन हमने प्रण लिया था कि जब चंद्रयान-3 चांद पर लैंड हो जाएगा, उसके बाद ही चंद्रयान-2 के पदचिन्ह वाली जगह का नामकरण किया जाएगा.

23 अगस्त अब से नेशनल स्पेस डे

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिस दिन चंद्रयान-3 चांद पर लैंड किया उस दिन यानी 23 अगस्त को अब से देश हर साल नेशनल स्पेस डे के रूप में मनाएगा, जिससे पूरा देश इससे प्रेरणा लेगा. स्पेस सेक्टर की एक बहुत बड़ी ताकत है वो है ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ गवर्नेंस. आज देश के हर पहलू को गर्वनेंस से जोड़ने के लिए बहुत बड़ा काम हुआ है. जब मैं पीएम बना तो मैंने भारत सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी लेवल के अफसर के साथ स्पेस साइंटिस्ट के साथ एक वर्कशॉप की थी. पीएम मोदी ने आगे कहा कि इसी का नतीजा था कि जब भारत ने स्वच्छ भारत का अभियान चलाया तो उसकी मॉनीटरिंग के लिए स्पेस साइंस ने बहुत मदद की.

युवाओं को पीएम मोदी ने दिया टास्क

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि युवाओं को एक टास्क देना चाहता हूं. भारत में पुराने समय में आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे ऋषि थे. आर्यभट्ट के विस्तार से पृथ्वी के गोल होने और उसके अपने अक्ष पर झुके होने की गणना की थी और सूर्य पर भी कई गणनाएं की थीं. पृथ्वी पर कुछ लोग अपनी जगह को सबसे ऊपर मानते हैं पर ये गोलाकार पृथ्वी आकाश में स्थित है. उसमें ऊपर और नीचे की ऐसी कई गणनाएं हमारे पूर्वजों ने लिखी हैं. पृथ्वी, सूर्य और चांद के एक साथ बीच में आने पर ग्रहण की जानकारी हमारे ग्रंथों में है. हमने ग्रहों और उपग्रहों की गति के बारे में इतनी सूक्ष्म गणनाएं की थीं. हमने हजारों सालों के पंचांग बना दिए थे. भारत के शास्त्रों में जो वैज्ञानिक सूत्र हैं उसके वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन के लिए आगे आएं. ये हमारी विरासत के लिए जरूरी है और देश के लिए भी जरूरी है. हमारी युवा पीढ़ी को आधुनिक विज्ञान को नए आयाम देने हैं.

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