बीजिंग। नई दिल्ली में होने जा रही जी-20 समिट से कुछ ही दिन पहले चीन ने आधिकारिक तौर पर अपने ‘मानक मानचित्र’ के 2023 एडिशन को जारी किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन इलाके, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को कम्युनिस्ट देश का हिस्सा दिखाया गया है। इस मानचित्र के जरिये चीन इन इलाकों पर अपने दावों को मजबूत करने की मंशा रखता है। जबकि भारत ने बार-बार कहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा। चीनी मीडिया ने एक्स पर चीन के 2023 के मानक मानचित्र को शेयर किया है। जानकारी के अनुसर चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के स्वामित्व वाली मानक मानचित्र सेवा की वेबसाइट पर इसे जारी किया गया। जिसका दावा है कि यह मानचित्र चीन और दुनिया के विभिन्न देशों की राष्ट्रीय सीमाओं की रेखांकन विधि के आधार पर बनाया गया है। जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी नेता शी जिनपिंग के साथ बैठक करने के एक हफ्ते से भी कम समय में बीजिंग ने ‘मानक मानचित्र’ के नाम पर नया मैप लॉन्च किया। इसमें गलत तरीके से भारत के कुछ हिस्सों को चीनी क्षेत्रों के रूप में दिखाया गया था।
गौरतलब है कि नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित भारत यात्रा से ठीक पहले इस मैप को जारी किया गया है। इसमें चीन के सीमा दावों के लिए दुनिया भर में मशहूर 9- डैश लाइन को फिर से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है। 9-डैश लाइन को 1940 के दशक में एक चीनी भूगोलवेत्ता ने मैप पर खींचा था। यह यू-आकार की रेखा है जो दक्षिण चीन सागर के 90 प्रतिशत हिस्से पर दावा करती है, जिसे फिलीपींस उत्तरी फिलीपींस सागर कहता है।
चीन का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानूनों, विशेष रूप से समुद्र के कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के खिलाफ है। चीन हमेशा से ही अरुणाचल प्रदेश पर परोक्ष तौर पर अपना अधिकार जताता रहा है। भारत के किसी भी राजनेता के अरुणाचल में दौरे पर विरोध जताता रहा है। इसी साल चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 11 जगहों के नाम बदले थे। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से चीन को दो टूक जवाब देते हुए ये साफ कर दिया गया था कि हम इसे सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। इस तरह की कोशिश से वास्तविकता को नहीं बदला जा सकेगा।