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वाशिंगटन। कोरोना वायरस समय-समय पर नए तरीके से वापसी कर लोगों को अपने बारे में भूलने नहीं दे रहा है। कोविड के बारे में एक बात की गारंटी दी जा सकती है कि अब इसके नए वेरिएंट समय-समय पर सामने आते रहेंगे। इनमें से कुछ वेरिएंट लोगों को संक्रमित करने में अधिक सफल होंगे।
जानकारी के मुताबिक ए.2.86 (परोला) एक ऐसा नया स्ट्रेन है जिसने कुछ डॉक्टरों और विशेषज्ञों में चिंता पैदा कर दी है।इसके फैलने का पैटर्न अलग है।खासकर वायरस की सतह पर अणु जो इसे अनलॉक करने और हमारी कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए एक कुंजी की तरह कार्य करता है।यह वैक्सीन ले चुके लोगों को भी प्रभावित करता है।शायद स्पाइक में बदलाव का मतलब वायरस के व्यवहार के तरीके में बदलाव हो सकता है।लेकिन जैसी स्थिति है इसके बारे में निश्चित होने के लिए अच्छा डेटा उपलब्ध नहीं है।चिंता यह है कि संक्रमण एक नई लहर पैदा कर सकती है।
इस खबर ने एक बार फिर लोगों में चिंता बढ़ा दी है।कोरोना महामारी की शुरुआत सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला प्रश्न यही था कि मास्क किस प्रकार से लगाना चाहिए।अब एक बार फिर मास्क को लेकर सवाल उठने लगा है कि क्या मास्क दोबारा से पहनना पड़ सकता है।अब जबकि कोविड का खतरा काफी हद तक कम हो गया है, जब भी संक्रमण की संख्या बढ़ने लगती है तो लोगों को फिर से मास्क लगाने की बात सुर्खियों में छा जाती है।हर तरफ मास्क लगाने का दिशा-निर्देश जारी होने लगता है।हालांकि विशेषज्ञ देख रहे हैं कि कोरोना का यह नया वेरिएंट कितना संक्रामक हो सकते है और इलाज के प्रति यह कैसा रुख अपनाता है।
उनका कहना है कि हम नहीं जानते कि इसने कितने लोगों को संक्रमित किया है।यदि यह व्यापक रूप से फैल गया है, तो ऐसा लगता है कि केवल मुट्ठी भर लोगों को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया है।जो दर्शाता है कि वैक्सीन और पिछले संक्रमणों से प्राप्त प्रतिरक्षा अभी भी हमें गंभीर, जीवन-घातक कोविड से बचा रही है।अभी विशेषज्ञों का कहना है कि जांच के पहले दौर में पता चला है कि बीए.2.86 वैरिएंट उन लोगों को भी बीमार कर सकता है, जिन्होंने कोरोना की कोई न कोई वैक्सीन लगवा रखी है।विशेषज्ञों की मानें तो बीए.2.86 विश्व स्तर पर फैल गया है।