प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर को परंपरागत कारीगरों के लिए एक विशेष योजना पीएम विश्वकर्मा की शुरुआत की है। इस योजना के तहत कारीगरों को दिए जाने वाले लोन के ब्याज पर 8 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में जानकारी दी है। सरकार 2023-24 के बजट में पहले से ही इस स्कीम के लिए 13,000 करोड़ रुपये का प्रावधान कर चुकी है। भाषा की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्री ने कहा कि कारीगरों को पांच प्रतिशत की बेहद सस्ती ब्याज दर पर गारंटी फ्री लोन उपलब्ध कराया जाएगा।
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 18 क्षेत्र के परंपरागत कारीगरों को स्कीम का फायदा मिलेगा। जिसमें - बढ़ई, नाव बनाने वाला, अस्त्र बनाने वाला, लोहार, हथौड़ा और टूल किट बनाने वाला, ताला बनाने वाला, गोल्डस्मिथ (सुनार), कुम्हार, मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाला, पत्थर तोड़ने वाला), मोची (चर्मकार)/जूता कारीगर, मेसन (राजमिस्त्री), टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाला/जूट बुनकर, गुड़िया और खिलौना बनाने वाला (पारंपरिक), नाई, माला बनाने वाला, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला कारीगर शामिल है।
खबर के मुताबिक, सरकार इसके तहत तीन लाख रुपये तक का कर्ज देगी। वित्त मंत्री ने कहा कि शुरुआत में एक लाख रुपये का कर्ज दिया जाएगा और 18 महीने तक भुगतान करने के बाद लाभार्थी अतिरिक्त दो लाख रुपये लोन लेने के लिए योग्य होगा। स्कीम के तहत न सिर्फ लोन बल्कि, उन्नत कौशल प्रशिक्षण, आधुनिक डिजिटल तकनीक और कुशल हरित प्रौद्योगिकियों का ज्ञान, ब्रांड प्रचार, स्थानीय और वैश्विक बाजारों के साथ संपर्क, डिजिटल भुगतान और सामाजिक सुरक्षा भी शामिल होगी।
हर लाभार्थी को 500 रुपये का दैनिक भत्ता देने के साथ पांच दिनों तक कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि लाभार्थी की पहचान तीन-स्तरीय तरीके से की जाएगी। टूलकिट प्रोत्साहन के रूप में 15,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। डिजिटल लेनदेन के लिए महीने में 100 लेनदेन तक करने पर प्रति लेनदेन एक रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। पीएम विश्वकर्मा स्कीम से खासकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों को काफी फायदा होगा।