मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले लेटर का दौर तेजी से चल रहा है। कभी पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सीएम शिवराज सिंह चौहान को भर्तियों के घोटाले या फिर किसानों के मुआवजे को लेकर खबर लिखते है तो कभी दिग्विजय सिंह सीएम या राष्ट्रपति को पत्र लिखकर समस्याओं का समाधान करने की मांंग करते है। इसी कड़ी में अब एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। दिग्विजय सिंह ने यह पत्र आदिवासी वर्ग के लिये वर्ष 2016-17 में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा ‘‘आदिवासी जैविक खेती योजना’’ के लिये स्वीकृत 74 करोड़ रुपए की राशि में व्यापक स्तर पर किए गए भ्रष्टाचार की जांच कराए जाने के संबंध में लिखा है।
दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि आवेदक ने मध्यप्रदेश के आदिवासी वर्ग के लिये वर्ष 2016-17 में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा ‘‘आदिवासी जैविक खेती योजना’’ के लिये स्वीकृत 74 करोड़ की राशि में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किये जाने की शिकायत की है। जिस पर राज्य शासन द्वारा कार्यवाही करने की जगह भ्रष्ट अफसरों को बचाने की कोशिश की जा रही है। इसमें पुनीत टंडन, निवासी म.नं. 9, बी-498, साकेत नगर, भोपाल का शिकायती पत्र मूलतः संलग्न है। दिग्विजय ने लिखा है कि टंडन ने बताया है कि मध्यप्रदेश के 24 जिलों में आदिवासी हितग्राहियों की फर्जी सूची बनाकर राशि का गबन किया गया है। केन्द्र सरकार ने विशेष पिछड़े जनजाति समुदाय के किसानों के लिये 90 करोड़ रूपये तथा अन्य आदिवासी किसानों को जैविक खेती से जोड़ने के लिये 54 करोड़ रूपये आवंटित किये थे।
आवेदक द्वारा पूर्व में भी इसकी शिकायत हर स्तर की जा चुकी है। जिस पर कलेक्टर मंडला ने 3 अधिकारियों की जांच समिति गठित करके जांच कराई थी। जांच समिति द्वारा 11 मार्च 2022 को प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में बताया कि उपरोक्त शिकायत पर जांच हेतु ग्राम किन्द्र विकासखण्ड मण्डला, जिला मण्डला में हितग्राहियो से चर्चा की और व्यक्तिगत पूछताछ एवं ग्राम का भ्रमण करने पर पाया कि सूची में प्रेषित कृषक ब्राम्हण, तेली, कुर्मी, लोहार आदि जाति के पाये गये। उन्हें किसी भी प्रकार की जैविक सामग्री नही दी गई है। आवेदक ने इसी प्रकार प्रदेश के अन्य 23 जिलों में इसी प्रकार ‘‘आदिवासी जैविक खेती योजना’’ के लिये केन्द्र सरकार से स्वीकृत राशि में घोटाला किये जाने की शिकायत की है।
मंडला जिले की जांच से पता चलता है कि पूरे प्रदेश में इस योजना के बजट का दुरूपयोग किया गया है। किसी भी जाति, समाज के किसान का नाम लिखकर कृषि विभाग के अधिकारियों ने आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर आदिवासी किसानों के नाम जैविक खेती मद की राशि आहरित कर ली। दिग्विजय सिंह ने अंत में लिखा है कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के वंचित वर्ग के लिये स्वीकृत राशि का गबन करने के प्रकरण की राष्ट्रपति कार्यालय में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी की देख-रेख में यह जांच कराई जाए। दोषी अधिकारियों और अन्य सप्लायर्स के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करने के लिए संबंधित को समुचित निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें।