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- Saturday, Nov 23, 2024
by NewsDesk - 29 Nov 23 | 16
वाशिंगटन। 18 साल से अधिक समय के बाद भी भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौता मूर्त रुप नहीं ले सका है। इसके पीछे अनेक कारण बताए जा रहे हैं। एक शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा है कि टाटा चेयर फॉर स्ट्रेटेजिक अफेयर्स और प्रतिष्ठित ‘कार्नेगी एनडाऊमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ के वरिष्ठ शोधवेत्ता एशले जे टेलिस ने कहा कि भारत ने अभी तक उन बाधाओं को दूर नहीं किया है जो अमेरिका से परमाणु रिएक्टरों की खरीद को रोकती हैं, वहीं अमेरिका दूरदर्शिता के साथ नीति पर खरा नहीं उतर सका है। उन्होंने ‘कार्नेगी एनडाऊमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ के सोमवार को प्रकाशित मुखपत्र में लिखा कि 2005 में हुए असैन्य परमाणु समझौते को अंततः लागू करने की अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की महत्वाकांक्षा भारत को अमेरिकी परमाणु रिएक्टरों की बिक्री के साथ खत्म नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय लंबे समय से चली आ रहीं अमेरिकी नीतियों में संशोधन होने तक विचार करना चाहिए जो भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम के अस्तित्व को गहन तकनीकी सहयोग कर सके।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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