कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने शर्मिष्ठा मुखर्जी की किताब में राहुल गांधी को लेकर किए गए खुलासे पर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह (भाजपा) हमेशा ही तीसरे व्यक्ति के जरिए हमारे पार्टी के लोगों बदनाम करने का गुप्त एजेंडा बनाती है। वड्डेटीवार ने कहा, 'प्रणव मुखर्जी एक वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस ने उनकी योग्यताओं के साथ न्याय किया। अब शर्मिष्ठा जी ऐसा क्यों कह रही है? भाजपा हमेशा ही तीसरे व्यक्ति के जरिए हमारे पार्टी के लोगों को बदनाम करने का गुप्त एजेंडा बनाती है।' वडेट्टीवार ने राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए भाजपा पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'राहुल एक बहुत ही ईमानदार नेता हैं। वे (भाजपा) हमेशा राहुल गांधी से डरते हैं। रणनीति के अनुसार, भाजपा शर्मिष्ठा जी के जरिए राहुल गांधी को बदनाम कर रही है।'
पूर्व राष्ट्रपति की बेटी द्वारा अपने किताब में किए गए खुलासों पर भाजपा नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, शर्मिष्ठा मुखर्जी कांग्रेस छोड़ चुकी हैं और वो राजनीति से भी सन्यास ले चुकी हैं। मैं एक चीज कहना चाहता हूं कि राष्ट्रपति गरिमा का अपमान न करें, प्रधानमंत्री पद से ज्यादा संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण होता है और कांग्रेस ये कह सकती है कि बंगाल का प्रतिनिधत्व करने वाले प्रणब मुखर्जी जी जो योग्य थे उनको देश में जितना सम्मान दिया गया है शायद बहुत कम लोगों को मिला हो। बीजेपी ने उन्हें दूसरा मौका तक नहीं दिया। राहुल गांधी बहादुर नेता है और हमें अपने नेता पर नाज है। वो हर तरह से योग्य हैं।
इस किताब पर महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज छवन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मैंने उनकी (शर्मिष्ठा) यह किताब नहीं पढ़ी और न ही मैं इसपर कोई टिप्पणी करने वाला हूं। पहले मुझे इस किताब के कुछ अंश पढ़ने दीजिए । इससे पहले तो इस तरह की बातें नहीं की गई। प्रणव मुखर्जी के साथ मेरा संबंध अच्छे थे, लेकिन बिना किताब पढ़े कुछ कहना ठीक नहीं।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब में बताया था कि राहुल गांधी ने 27 सितंबर, 2013 को पूर्व कैबिनेट मंत्री और पार्टी के संचार विभाग के प्रमुख अजय माकन द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रें में भाग लिया था और प्रस्तावित सरकारी अध्यादेश को पूरी तरह से बकवास कहा था। फिर सभी को आश्चर्यचकित करते हुए अध्यादेश की एक प्रति फाड़ दी। उन्होंने अपनी किताब में इस बात का भी जिक्र किया कि उनके पिता ने उन्हें यह भी बताया था कि शायद राजनीति राहुल के लिए नहीं बनी है और उनकी रानजीतिक समझ की कमी उनके लगातार गायब रहने के अलावा एक समस्या पैदा कर रही है।
शर्मिष्ठा का कहना है कि 2014 में राजनीति में शामिल होने के बाद वह अपने पिता के साथ उस वर्ष कांग्रेस के पतन के कारणों पर चर्चा कर रही थीं। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस अब तक के सबसे निचले स्तर 44 सीटों पर आ गई। उन्होंने कहा, 'उन्होंने मुझसे कहा कि अन्य कारणों के अलावा राहुल का गुस्सा कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील था। पार्टी के उपाध्यक्ष ने सार्वजनिक रूप से अपनी ही सरकार के प्रति ऐसा तिरस्कार दिखाया था। लोग आपको फिर से वोट क्यों दें?'
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब में बताया कि एक दिन सुबह राहुल गांधी उनसे (प्रणब मुखर्जी से) मिलने आए। जबकि राहुल को उस शाम को उनसे मिलना था। जब मैंने अपने पिता से इसका जिक्र किया तो उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि अगर राहुल का कार्यालय एएम और पीएम के बीच अंतर नहीं कर पाता है तो वे एक दिन पीएमओ को कैसे चला पाएंगे।