- trending-title
- ऋचा का कातिलाना अंदाज और पोज़ बहुत पसंद आया फैंस को
- Saturday, Nov 23, 2024
by NewsDesk - 02 Jun 24 | 180
भोपाल। प्रदेश में रेत को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। रेत के अवैध उत्खनन पर कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश के बाद प्रशानिक अमले ने सारा काम छोड़कर रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन पर तावड़ तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी। प्रशासन की कार्रवाई के बाद खदाने बंद पड़ी है। डंपरों के पहिये थम गए है। जिसके कारण बाजार में रेत की किल्लत हो गई हैं। डंपर संचालकों का कहना है कि प्रशासन की मनमानी इतनी बढ़ गई है कि खदानों पर खड़ी-खाली गाड़ियों को भी जप्त तक कर थाने में खड़ी कर दी गई है। रेत व्यापारी एसोसिएशन ने सरकार से निवेदन किया है कि जल्द से जल्द खदान को चालू किया जाए नहीं तो रेत व्यापारी ड्राइवर क्लीनर के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे।
1500 दाव पर फिर शुरू न हो जाये बंदरबांट !
सरकार को 36 जिलों से इस बार रेत में टैक्स सहित लगभग 1500 करोड़ की आय होगी। लेकिन प्रशासन के रवैये के बाद ठेकेदार मायूस है। बंद पड़ी खदानों से एक और राजस्व का नुकसान हो रहा है वही दूसरी और कई ठेकेदार ठेके छोड़ने का मन बना चुके है। सूत्रों का कहना है कि ठेकेदारों ने खनिज विभाग के अधिकारियों को साफ तौर पर कह दिया है कि प्रशासन की ऐसी ही मनमानी चली तो हम ठेके छोड़ देंगे। अगर यह ठेके सरकार के हाथ से निकले तो सरकार को अरबों रुपये का नुकसान हो जायेगा। वही नेता और माफिया भी सक्रिय हो गए है। ठेके निरस्त होते है तो इन्हे शुरू होने में सालों लग जायेंगे इस बीच जमकर अवैध उत्खनन होगा।
तत्कालीन शिवराज सरकार के दौरान भी हो चुका नुकसान 69 करोड़ रुपए रह गई थी आय
चुनाव से पहले सरकार ने नई रेत नीति लाकर पंचायतो को खदानों के अधिकार दे दिए थे। उस समय कई ठेकेदारों ने ठेके सरेंडर कर दिए थे। पंचायतों को अधिकार दिए जाने के बाद सरकार की रेत से आय सिर्फ 69 करोड़ रुपए रह गई थी। इसके बाद कमलनाथ सरकार ने रेत खदानों की नीलामी के अधिकार पंचायतों से वापस लेकर राज्य खनिज निगम को दे दिए थे । रेत नीति में परिवर्तन की वजह राजस्व में घाटा और अवैध रेत उत्खनन के मामलों में बढ़ोतरी होना बताया बताया गया था।
शिवराज सरकार में हुए ठेके, मोहन सरकार ने की कार्रवाई
वर्तमान में संचालित हुए रेत के ठेके चुनाव से ठीक पहले शिवराज सरकार के दौरान हुए है। अक्टूबर में हुए इन ठेके को धीरे धीरे पर्यावरण स्वीकृति हो रही है। कई जिलों में संचालन भी शुरू हो गया है। इस बीच मोहन सरकार ने अवैध उत्खनन का हवाला देते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। इससे पहले 8 महीने तक जमकर अवैध उत्खनन हुआ। इस बीच प्रशासन मूक दर्शक बना रहा। रेत माफियाओं ने बिना राजस्व दिए नेताओं और अधिकारियों से साठगांठ कर जमकर रेत निकली। अब खदाने ठेकदार के हाथों में आने के बाद तावड़ तोड़ कार्रवाई शुरू हो गई है।
अवैध उत्खनन और परिवहन पर हो सख्ती
प्रशासन को अवैध उत्खनन और परिवहन पर पहले से ही सख्ती दिखानी थी। नियम के अनुसार खदानों को संचालित करना था। लेकिन प्रसाशन ने इसमें कोई रूचि नहीं दिखाई। सीएम के निर्देश के बाद अधिकारियों में कार्रवाई की होड़ मच गई। प्रसाशन आंख मीचकर रेत खदानों और डंपरों पर टूट पड़ा। नियमानुसार चलने वाले भी प्रशासन की चपेट में आ गए। ट्रक ऑनर एसोसिएशन ने विभाग से इसकी शिकायत भी की है एसोसिएशन का कहना है कि नियमानुसार रॉयल्टी काटने के बाद भी प्रशासन ने डंपरों पर 11 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24