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कश्मीर में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हो रहा मतदान, बूथों पर लगी लंबी कतारें

by NewsDesk - 13 May 24 | 132

श्रीनगर। कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार चुनाव हो रहे हैं। कहीं कोई अनहोनी न हो इसके लिए भारी सुरक्षाबल तैनात किया गया है। श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में सोमवार सुबह सात बजे से वोटिंग शुरू हुई। श्रीनगर शहर के पुराने शहर क्षेत्र सहित कई मतदान केंद्रों पर लोगों की लंबी कतारें लगी हैं। आसमान में बादल छाए रहने के बावजूद पुलवामा, कंगन, गांदरबल, बडगाम और पंपोर इलाकों में बड़ी संख्या में मतदाता वोट डालने के लिए निकले हैं। बता दें कि यहां बीजेपी ने तीनों लोकसभा में से किसी भी सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा है।

 

वर्ष 1987 के बाद कश्मीर में यह पहला चुनाव है जब अलगाववादियों ने चुनाव बहिष्कार का आह्वान नहीं किया है। यहां तक कि घाटी में अलगाववादी भावनाओं का केंद्र माने जाने वाले श्रीनगर के पुराने शहर इलाके में भी मतदाता बिना किसी डर के वोट डालने के लिए निकले हैं। अधिकारियों ने लोगों को बिना डर के मतदान का माहौल देने के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। निर्वाचन क्षेत्र में 8,75,938 पुरुष; 8,71,808 महिलाएं; और 64 थर्ड जेंडर समेत 17,47,810 मतदाता हैं। चुनाव आयोग ने निर्वाचन क्षेत्र में 1,004 शहरी और 1,131 ग्रामीण समेत 2,135 मतदान केंद्र बनाए हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में 24 उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि, मुख्य मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के सैयद रुहुल्ला मेहदी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वहीद उर रहमान पारा और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के मोहम्मद अशरफ मीर के बीच है।

 

बीजेपी ने श्रीनगर और घाटी की अन्य दो लोकसभा सीटों बारामूला और अनंतनाग-राजौरी में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने 2019 में इस सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उन्होंने इस सीट से अपना नाम वापस ले लिया। 2019 के चुनावों में कम भागीदारी देखी गई। भाजपा भले ही कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों में से किसी पर भी चुनाव नहीं लड़ रही हो, लेकिन पार्टी को विश्वास है कि घाटी में होने वाले चुनाव इस क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वर्चस्व को समाप्त कर देंगे। इंडिया गठबंधन का हिस्सा नेशनल कॉन्फ्रेंस ने प्रभावशाली शिया नेता और पूर्व मंत्री आगा रुहुल्लाह मेहदी को मैदान में उतारा है, जबकि पीडीपी ने अपनी युवा इकाई के अध्यक्ष वाहिद पारा को उम्मीदवार बनाया है।

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