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  • Thursday, Nov 21, 2024

AI तकनीक से होगी कैंसर की पहचान , एम्स और आईआईएसईआर भोपाल की क्रांति लाने वाली खोज

by NewsDesk - 04 Sep 24 | 72

भोपाल। एम्स भोपाल और आईआईएसईआर भोपाल की एक संयुक्त टीम डीप लर्निंग और एआई तकनीक के माध्यम से एक ऐसी तकनीक विकसित करने में लगे हैं जिससे सिर के ट्यूमर और गर्दन के कैंसर का पता लगाया जा सकेगा। टीडीके कॉरपोरेशन जापान और आईआईटी मद्रास के गोपालकृष्णन देशपांडे सेंटर (जीडीसी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के अंतर्गत इस टीम को टीआईआईसी एक्सेलेरेटर प्रोग्राम 2024 के लिए चुना गया है।

इस संबंध में एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अजय सिंह ने बताया कि हमें अपनी सोच को हकीकत में बदलना होगा जिससे मरीजों की तकलीफें कम हो सके। मरीज के इलाज में हम मिलकर कुछ ऐसा करेंगे जिससे उनके जीवन में एक बदलाव आ सके। इस साझेदारी से मरीज के जटिल इलाज में प्रयोग होने वाले आधुनिक उपकरणों को विकसित किया जा सकेगा। आने वाले समय में संयुक्त रूप से मिलकर एम्स भोपाल को मध्य भारत में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित कर सकेंगे। टीडीके कॉरपोरेशन जापान और आईआईटी मद्रास का गोपालकृष्णन देशपांडे सेंटर (जीडीसी) नई तकनीकों को विकसित करने में स्टार्टअप्स की मदद करता है। इस प्रोजेक्टस के द्वारा ऐसी तकनीक विकसित की जायेगी जो स्व यं ही सिर के ट्यूमर और गर्दन के कैंसर का पता लगा लेगी। यह तकनीक रेडियोथेरेपी में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, जिससे ट्यूमर की पहचान की प्रक्रिया तेज और सटीक हो जाएगी। यह तकनीक फिलहाल दुनिया में कहीं भी उपलब्ध नहीं है। इस परियोजना के अंतर्गत टीम आईआईटी मद्रास में आठ सप्ताह के वर्कशॉप में हिस्सा लेगी, जहां वे अपनी तकनीक को बेहतर बनाएंगे और इसे व्यावसायिक रूप से उपयोग करने के तरीके खोजेंगे।

 

इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व एम्स भोपाल के रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ. राजेश पसरीचा कर रहे हैं। उनकी टीम में मेडिकल फिजिसिस्ट श्री अवनीश मिश्रा, रेजिडेंट डॉक्टर श्रीनिवास रेड्डी और डॉक्टर अरविन्द शामिल हैं। जबकि आईआईएसईआर भोपाल से डॉ. तन्मय बसु, डॉ. विनोद कुर्मी और डॉ. फिरोज सूरी शामिल हैं। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने टीम के चयन पर खुशी जताते हुए कहा, यह सहयोग एम्स भोपाल और आईआईएसईआर भोपाल की नई तकनीक विकसित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एआई-आधारित समाधान से रेडियोथेरेपी की सटीकता बढ़ेगी और मरीजों के इलाज के नतीजे बेहतर होंगे। हमें पूरा विश्वास है कि यह प्रोजेक्ट कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित होगा।

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