- trending-title
- ऋचा का कातिलाना अंदाज और पोज़ बहुत पसंद आया फैंस को
- Thursday, Nov 21, 2024
by NewsDesk - 20 Jan 24 | 248
भगवान श्री कृष्ण के चरण जहाँ-जहाँ पड़े, उन्हें तीर्थ स्थल बनाने का निर्णय
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पटना में भव्य अभिनंदन
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का दायित्व संभालने के बाद उन्होंने आम जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लिया है। नागरिकों के लिए विभिन्न सुविधाओं का विकास कर उनके जीवन को सहज, सरल बनाने के साथ ही दूसरी महत्वपूर्ण प्राथमिकता उन महापुरूषों के योगदान से नई पीढ़ी को अवगत करवाने का कार्य भी करना है, जिससे भारतीय समाज को संस्कार मिले। भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के प्रसंगों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की पहल के साथ ही नई शिक्षा नीति में सनातन संस्कृति का पाठ्यक्रमों में समावेश हमारा संकल्प है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सांदीपनी आश्रम उज्जैन में शिक्षा ग्रहण की थी। मध्यप्रदेश में जहाँ-जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े हैं, उन स्थानों को तीर्थ स्थान के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पटना में श्री कृष्ण चेतना विचार मंच द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में भाग लिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गांधी मैदान स्थित श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में शंख ध्वनि के बीच दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विभिन्न संगठनों द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. यादव को पुष्पगुच्छ, शॉल व अभिनंदन पत्र भेंट कर तथा मुकुट पहनाकर स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का श्री कृष्ण चेतना विचार मंच के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री राजेन्द्र प्रसाद, महासचिव (पूर्व आईएएस) डॉ. गोरेलाल यादव, महामंडलेश्वर महंत डॉ. सुखदेव दास, बिहार प्रदेश यादव महासभा, श्री कृष्ण चेतना परिषद, श्री कृष्ण चेतना संघ, श्री कृष्ण विचार मंच, श्री गोपीकृष्ण गो आश्रम, जयपाल सिंह यादव फाउंडेशन के पदाधिकारियों आदि ने स्वागत किया।
भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा-दीक्षा हुई उज्जैन में, उनका जीवन धर्म की स्थापना में बीता
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि माता सीता की जन्मस्थली बिहार आकर मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं। ऐसी पवित्र धरती को मैं प्रणाम करता हूँ। यह भगवान महावीर स्वामी जी की धरती है, जिससे बिहार की पहचान है। साथ ही सम्राट अशोक की भी धरती है। सम्राट अशोक का मध्यप्रदेश उज्जैन से खासतौर पर अलग तरह का रिश्ता रहा है। हजारों साल से मध्यप्रदेश और बिहार का रिश्ता है। प्राचीन काल से मध्यप्रदेश की भूमिका महत्वपूर्ण रही थी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बाबा महाकाल की नगरी में ही भगवान श्री कृष्ण का विवाह हुआ। भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा-दीक्षा भी उज्जैन में हुई। शिक्षा के मामले में हमारा समाज कितना जागृत है, इसका उदाहरण पांच हजार साल पहले भगवान श्री कृष्ण के काल से भी जुड़ता है। जब भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध कर दिया तो ऐसा उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं था जब कोई सत्ताधीश का वध करे और वो सत्ता की कुर्सी पर न बैठे। भगवान श्री कृष्ण हैं जिन्होंने आगे बढ़कर शिक्षा को महत्ता दी। भगवान श्री कृष्ण की विद्यार्थी के नाते भी पहचान है। उज्जैन में भगवान श्री कृष्ण ने 5 हजार साल पहले 14 विद्या और 64 कलाओं और चारों वेद का ज्ञान अर्जित किया। भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण के पश्चात् पूरी शिक्षा का सार और कर्म का ज्ञान गीता के माध्यम से बताया। गीता जो दुनिया में पवित्रतम ग्रंथों में शामिल है। गीता आज भी सबका मार्ग दर्शन करती है। कोई भी क्रांतिकारी हो, आजादी के सिपाही हो, अगर गीता नहीं पढ़ी, तो उसका जीवन अधूरा है। जीवन के किसी मार्ग पर जिसने भी बड़ा संकल्प लिया गीता सदैव उसका पाथेय बनकर मार्गदर्शन करती रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम सब भगवान श्री कृष्ण को हमारे वंश का तो मानते ही हैं, लेकिन भगवान श्री कृष्ण की पहचान कैसी है पूरे समाज के अंदर जहां कोई अव्यवस्था दिखे, जहां कोई अधर्म की बात दिखे, अगर किसी ने आगे बढ़कर अधर्म के खिलाफ संघर्ष करने का कदम उठाया तो वह केवल एकमेव भगवान श्री कृष्ण हैं, जिन्होंने अपने पूरे जीवन को धर्म की स्थापना के लिए खपाया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मैं क्षिप्रा के तट से आकर गंगा के तटवासियों को प्रणाम करके उसका स्पंदन और आनंद महसूस कर रहा हूँ। आज के इस दौर में लोकतंत्र को जिंदा रखने में हमारे समाज की भूमिका बहुत बड़ी है। हमें प्रदेश और देश की सेवा के साथ-साथ भारत का मान दुनिया में बढ़े उस दिशा में हमें आगे बढ़ने की आवश्यकता है। यही तो हम हजारों से साल से करते आए हैं और यही हमारा कर्तव्य भी है। परमात्मा ने हमें जहां जिस जगह जन्म दिया है एक अनूठा संयोग हमारे साथ जुड़ता है।
भारत में गाय के प्रति व्यक्त होता है वास्तविक सम्मान
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि परमात्मा से, प्रकृति से प्रेम करने का उदाहरण अगर कहीं दिखाई देता है तो निश्चित रूप से वह सर्वाधिक यादव समाज से दिखाई देता है, जो गौपालन के माध्यम से अपना जीवन चलाते हैं। परमात्मा के माध्यम से प्रकृति प्रेम को भी दिखाते हैं। जो प्रकृति से प्रेम करता है, जो जीव मात्र से प्रेम करता है, वो ही तो गोपाल हो सकता है। इसके अलावा कौन गोपाल होता है, गोपाल वो नहीं होते, दुनिया में कई देश है हमारे अलावा, अमेरिका, इंग्लैंड में भी गाय माता बहुत सारे लोग पालते हैं, लेकिन उनके पालने के तरीके और हमारे पालने के तरीके में काफी अंतर है। हम अशक्त और बीमार गायों की देखभाल भी करते हैं। उनके हाल पर नहीं छोड़ देते। हम गाय माता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास देखते हैं। गायों में माँ का स्वरूप भी देखते हैं। गौ-माता का वास्तविक सम्मान हमारे देश की संस्कृति है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जेल में जन्म हुआ है। माँ यशोदा ने उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया। वह बालक न कभी डरता है और न भयभीत होता है। दुनिया की चुनौती का सामना करता है और सच्चाई के मार्ग पर चलता है, जो भी आज भी हमें रोमांचित और गर्व से भर देता है। श्रद्धा, भक्ति, आस्था यह ऐसे ही पैदा नहीं होती, इस आस्था, भक्ति, श्रद्धा पैदा करने के लिए समूचे जीवन को एक तरह से दुनिया के सामने प्रदर्शित करने की जिनकी आध्यात्मिक चेतना जीवन भर काम आती है, ऐसे गोपाल कृष्ण की जय-जय कार महसूस कर सकते हैं।
प्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का श्री कृष्ण चेतना विचार मंच द्वारा स्वागत किया गया। कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने स्नेह, सम्मान और आत्मीयता से डॉ. यादव का स्वागतकिया।
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24