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- Monday, Nov 25, 2024
by NewsDesk - 28 May 24 | 163
-फलोदी देश का सबसे गर्म शहर,
-तापमान 51 डिग्री,
-पाकिस्तान बॉर्डर पर बीएसएफ जवान की लू से मौत
-हीट स्ट्रोक से 60 से अधिक की मौत
नई दिल्ली । नौतपा के तीसरे दिन राजस्थान के फलोदी में तापमान सबसे ज्यादा दर्ज किया गया। नौतपा के पहले दिन यहां तापमान 50 डिग्री, जबकि दूसरे दिन 51 डिग्री रहा। जम्मू में भी तापमान 42 डिग्री और हिमाचल के ऊना में 44.4 डिग्री तक पहुंच गया। सोमवार को जैसलमेर में भारत-पाक सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान की लू लगने से मौत हो गई। अजमेर के केकड़ी में भी 80 साल के बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया। राजस्थान में 4 दिन में गर्मी से मरने वालों की संख्या 27 हो चुकी है। बिहार में भी नगालैंड के जवान की हीट स्ट्रोक से मौत हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत नेशनल सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक एक मार्च से अबतक देश में हीटस्ट्रोक के 16 हजार से अधिक मामले रिपोर्ट किए गए जबकि 60 से अधिक लोगों की मौत हुई है। उच्च तापमान का सेहत पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकता है। ये मस्तिष्क की समस्याओं से लेकर किडनी-लिवर फेलियर तक के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई राज्यों में बढ़ता तापमान चिंताजनक है।
मौसम विभाग ने अगले दो दिन के लिए राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश में भीषण हीटवेव का रेड अलर्ट जारी किया है। जबकि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात में अलग-अलग इलाकों में हीटवेव का यलो अलर्ट जारी किया है। राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में पारा 48 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। मौसम विभाग ने बुधवार तक यहां लू को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बढ़ता तापमान सेहत के लिए कई प्रकार से हानिकारक हो सकता है। इसके जानलेवा दुष्प्रभावों का भी खतरा रहता है इसलिए सभी लोगों को लू से बचाव को लेकर अलर्ट रहना चाहिए।
बुजुर्गों और छोटे बच्चों को अधिक खतरा
डॉ विक्रमजीत कहते हैं, लू-गर्मी के दुष्प्रभावों से बचाव के लिए बुजुर्गों और छोटे बच्चों को लंबे समय तक धूप में रहने से बचना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी होने और हीटस्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। आपातकालीन चिकित्सा विभाग में गर्मी से संबंधित समस्याओं वाले रोगियों में 30-40त्न की वृद्धि देखी जा रही है, इनमें से अधिकांश मरीज बुजुर्ग या फिर वे लोग हैं जिन्हें क्रोनिक श्वसन, हृदय और किडनी की बीमारियां हैं। स्वास्थ्य जोखिमों से बचे रहने के लिए धूप के अधिक संपर्क में न आना और खूब पानी पीते रहना जरूरी है।
डिहाइड्रेशन के कारण बढ़ सकती हैं दिक्कतें
नोएडा स्थित एक अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं, धूप के अधिक संपर्क में रहने वाले लोगों में डिहाइड्रेशन (पानी की कमी या निर्जलीकरण) सबसे आम परेशानी है। शुरुआत में पानी की कमी होने के कारण मुंह सूखने, कमजोरी-रक्तचाप कम होने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। शरीर से पसीने के जरिए ज्यादा पानी निकल जाने पर एक्यूट किडनी इंजरी और लिवर से संबंधित जटिलताओं का खतरा भी हो सकता है।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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