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रक्षा के क्षेत्र में ताकतवार हुआ भारत......आत्‍मनिर्भर भारत मुहिम का दिख रहा असर

by NewsDesk - 19 Apr 24 | 34

नई दिल्‍ली । भारत की सीमाएं चीन और पाकिस्‍तान से लगती हैं। दोनों पड़ोसी देशों के मंसूबे भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण हैं, यह देखकर भारत अपनी सीमाओं को और मजबूत बनाने में जुटा है। साथ ही अपने सैन्‍य क्षमताओं का लगातार विकास भी कर रहा है, ताकि जवानों को अत्‍याधुनिक उपकरण मुहैया करा सके। भारत की ओर से डिफेंस क्षेत्र में लगातार भारी-भरकम निवेश किया जाता रहा है। अब मोदी सरकार के प्रयासों के नतीजे सामने आने लगे हैं। आत्‍मनिर्भर भारत मुहिम ने रफ्तार पकड़ ली है। अब भारत में वॉर प्‍लेन (लड़ाकू विमान) के इंजन और बख्‍तरबंद वाहनों का निर्माण होगा। इससे न केवल भारत का सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा, बल्कि आयात पर खर्च होने वाले विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।

दरअसल, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सांसदों से कहा कि भारतीय वायुसेना के लिए मिलकर लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने के वास्ते भारत और अमेरिका के बीच हुआ समझौता क्रांतिकारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले वर्ष जून में अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर गए थे और उसी दौरान इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की गई थी। जनरल इलेक्ट्रिक ने भारतीय वायुसेना के लिए लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने के लिए ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स’ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने बताया कि अमेरिका के भारत के साथ बेहतरीन संबंध हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने हाल में भारत को विमान के इंजन बनाने में मदद की और यह एक तरह की क्रांति है। इससे भारत की क्षमता बढ़ेगी। हम भारत के साथ मिलकर एक बख्तरबंद वाहन का भी निर्माण कर रहे हैं। एलसीए तेजस मार्क 1एकी पहली सफल उड़ान बेंगलुरु के एचएएल फैसिलिटी में पूरी हुई। यह फाइटर एयरक्रॉफ्ट अपनी पहली उड़ान के दौरान 18 मिनट तक हवा में रहा। तेजस मार्क 1ए आधुनिक और 4प्लस जेनेरेशन का फाइटर एयरक्रॉफ्ट है। इसमें हवा में फ्यूल भरा जा सकता है, जिससे इसकी क्षमता और बढ़ जाती है। साथ ही यह फाइटर जेट एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्केन्ड ऐरे रडार, बीवीआर यानी बियॉन्ड विजुवल रेंज मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट से लैस है। भारतीय वायुसेना ने 83 एलसीए मार्क 1ए तेजस के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ करार किया है। जबकि अतिरिक्त 97 तेजस मार्क 1ए फाइटर की खरीद को रक्षा खरीद परिषद पहले ही मंजूरी दे चुकी है।

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