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भारत विकास का समर्थन करता है, विस्तारवाद का नहीं: पीएम मोदी

by NewsDesk - 07 Sep 24 | 107

-चीन ने कुछ दशकों में धीरे-धीरे आसपास के इलाकों पर किया कब्जा

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने विस्तारवादी नीति को लेकर एक बार फिर चीन पर निशाना साधा है। उन्होंने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि भारत विकास का समर्थन करता है, विस्तारवाद का नहीं। पीएम मोदी ने ये टिप्पणी ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल के साथ हुई बैठक में की। पीएम मोदी की इस टिप्पणी को चीन के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है। चीन का दुनिया के ज्यादातर देशों के साथ विवाद चल रहा है। ब्रुनेई के साथ भी दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन से विवाद चल रहा है।

हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने चीन को विस्तारवादी नीति को लेकर घेरा है। जुलाई 2020 में पीएम मोदी जब लद्दाख गए थे, तब वहां से उन्होंने चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कि अब विस्तारवाद का समय खत्म हो चुका है। तब उन्होंने कहा था जो लोग विस्तारवाद से प्रेरित हैं, उन्होंने हमेशा दुनिया के लिए खतरा पैदा किया है। इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें या तो खत्म हो गईं या वापस लौटने के लिए मजबूर हो गईं।

फरवरी 2014 में भी मोदी ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन की विस्तारवादी नीति पर हमला बोला था। तब उन्होंने कहा था कि चीन को अपनी विस्तारवादी नीति छोड़नी चाहिए और दोनों देशों के बीच शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध बनाना चाहिए।

2014 में मोदी ने विस्तारवादी नीति को 18वीं सदी की मानसिकता बताया था। कुल मिलाकर, पीएम मोदी ने भारत के संदेश को विकासवाद बनाम विस्तारवाद के खाके में रखा है। चीन आज जैसा है, वैसा नहीं होता अगर वो विस्तारवादी नहीं होता. चीन ने विस्तारवाद के जरिए खुद को फैला लिया है। क्षेत्रफल के लिहाज से आज चीन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। चीन का कुल क्षेत्रफल 97 लाख वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है। मोटा-मोटा देखा जाए तो भारत से तीन गुना बड़ा है जिसकी सीमाएं 14 देश से लगती है। ये देश हैं- अफगानिस्तान, भूटान, भारत, कजाखस्तान, उत्तर कोरिया, किर्गिस्तान, लाओस, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और वियतनाम। चीन को विस्तारवादी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उसने कुछ दशकों में धीरे-धीरे करके आसपास के इलाकों पर कब्जा कर लिया है। पिछले साल अगस्त में ही चीन ने नया नक्शा जारी किया था। इस नक्शे में चीन ने भारत के अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को भी अपना हिस्सा बताया था। भारत की भी 43 हजार वर्ग किमी की जमीन भी चीन के पास है।

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