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- Monday, Nov 25, 2024
by NewsDesk - 28 Feb 24 | 198
विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परम्परा में शोध को प्रोत्साहित किया जाएगा- मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का अखिल भारतीय सकल नामांकन अनुपात (जीआरई) में प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय स्तर से अधिक उपलब्धि प्राप्त करने पर हुआ सम्मान
राज्य स्तर तथा सभी विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ गठित किए जाएंगे
"राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परम्परा विविध संदर्भ" पर दो दिवसीय कार्यशाला आरंभ
भोपाल : राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परम्परा विविध संदर्भ पर दो दिवसीय कार्यशाला का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। शासकीय सरोजनी नायडू कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय भोपाल में हुए शुभारंभ सत्र में उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार, संचालक मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी अशोक कड़ैल तथा सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास डॉ. अतुल कोठारी ने भी संबोधित किया। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा के.सी. गुप्ता ने अंगवस्त्रम, तुलसी का पौधा तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया।
शासकीय सरोजिनी नायडू कन्या महाविद्यालय भोपाल के 860.82 लाख के विस्तारीकरण नवीनीकरण और शासकीय महाविद्यालय सिराली हरदा के 617.82 लाख से बने नवीन भवन का हुआ लोकार्पण
राज्यपाल पटेल एवं मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारतीय ज्ञान परंपरा विविध संदर्भ कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर रिमोट से शासकीय सरोजिनी नायडू कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय भोपाल के 860.82 लाख के विस्तारीकरण नवीनीकरण और बैरियर-फ्री कार्य तथा शासकीय महाविद्यालय सिराली हरदा के 617.82 लाख की लागत से बने नवीन भवन का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का वर्ष 2021-22 में अखिल भारतीय सकल नामांकन अनुपात (जीईआर 28.4) में मध्यप्रदेश द्वारा राष्ट्रीय स्तर से अधिक उपलब्धि (28.9) प्राप्त करने पर उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार द्वारा अभिनंदन पत्र तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। शुभारंभ सत्र में उच्च शिक्षा विभाग की उपलब्धियों तथा भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन भी हुआ।
राज्यपाल पटेल ने कहा है कि भारतीय ज्ञान परंपरा ने संपूर्ण विश्व का मार्ग दर्शन किया है। भारत से प्राप्त ज्ञान से ही अरब, यूरोप, मध्य एशिया, पूर्वी और दक्षिण एशियाई देशों में गणित, ज्योतिष, खगोल, चिकित्सा, अध्यात्म संबंधी ज्ञान का प्रसार हुआ है। भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम में भारतीय समाज के जीवन मूल्यों, सांस्कृतिक गौरव, मातृभूमि के लिए मर मिटने वाले नायक-नायिकाओं के बलिदान, संघर्ष और संविधान की समावेशी-समता मूलक व्यवस्थाओं की मंशा को भी समेकित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवा शक्ति को दिशा देने का अभियान
राज्यपाल पटेल ने कहा कि राष्ट्र की युवा शक्ति परिवर्तन की वाहक और लाभार्थी होती है। शिक्षा पाठ्यक्रम भावी पीढ़ी के भविष्य लिखने, युवा शक्ति को दिशा देने और विकास के दृष्टिकोण को आकार देने का महान अभियान है। भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने वाली अमृत पीढ़ी तैयार करने के लिए जरूरी है कि महाविद्यालय और विश्वविद्यालय, विद्यार्थियों को ज्ञानवान और हुनरमंद बनाएं। शिक्षा ऐसी हो जो विद्यार्थियों को स्वस्थ और स्वच्छ जीवन शैली तथा भविष्य के मुद्दों से निपटने, सामाजिक सरोकारों में सहभागिता और मोबाइल फोन से परे दुनिया की खोज करने के तरीके सुझाए। शिक्षक अपने आचरण से विद्यार्थियों का मार्ग दर्शन करने वाले रोल मॉडल होने चाहिए।
भारत को विश्व गुरु बनाने का महायज्ञ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति
राज्यपाल पटेल ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा समृद्ध रही है, फिर चाहें वह भारतीय दर्शन का सापेक्षिकता का सिद्धांत हो, प्लास्टिक सर्जरी, शून्य की खोज, ज्योतिष और आयुर्वेद का चिकित्सा विज्ञान, सभी क्षेत्रों में भारत अग्रणी रहा हैं। उन्होंने कहा कि भारत के इसी गौरव को प्राप्त करने, विश्वगुरु बनाने, 21वीं सदी की वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम और दक्ष पीढ़ी तैयार करने और राष्ट्र जागरण का महायज्ञ राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में विद्यार्थियों की रचनात्मक, सृजनशील, आलोचनात्मक, अनुसंधनात्मक प्रवृत्तियों, नवाचार के साथ ही उद्यमशीलता को निखारने और शिक्षा की रोजगारपरकता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर भी चिंतन किया जाना चाहिए। राज्यपाल श्री पटेल ने आशा व्यक्त की कि शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्यशाला के वैचारिक मंथन से प्राप्त अमृत रूपी सुझाव और विचार भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित शिक्षा पाठ्यक्रम तैयार करने में सहायक होंगे।
भारतीय संस्कृति और परम्परा, ज्ञान को किसी सीमा में बांधने पर विश्वास नहीं करती
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि भारतीय संस्कृति और परम्परा, ज्ञान को किसी सीमा में बांधने पर विश्वास नहीं करती, ऋग्वेद के अनुसार ज्ञान जहां से भी आए उसे स्वीकार करना चाहिए। पश्चिम में पेटेंट की व्यवस्था है, जो ज्ञान से हितअर्जन पर आधारित है। जबकि भारत में ऋषि परंपरा को किसी राज्य की सीमा में नहीं रोका गया। हमारा विश्वास है कि ऋषि समूचे जगत के लिए हैं, जो अपना सारा जीवन समाज की बेहतरी के लिए शोध में निकाले वही ऋषि परंपरा है। श्रुति और स्मृति ने भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को अक्षुण्ण रखा है। भारतीय ज्ञान परंपरा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों में शोध को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
प्रदेश में विश्वविद्यालयों को समग्रता में विकसित किया जाएगा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि युवा पीढ़ी के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने वाला उच्च शिक्षा विभाग राज्य शासन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रदेश में विश्वविद्यालयों को समग्रता में विकसित किया जाएगा। प्रदेश के विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता को इतना प्रभावी बनाया जाएगा कि देश के साथ-साथ विदेशों के विद्यार्थी भी प्रदेश में अध्ययन के लिए आतुर रहेंगे। प्रदेश में क्रांति सूर्य टंट्या मामा के नाम पर विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को सार्थक किया
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी ज्ञान परम्परा का स्रोत गंगोत्री की तरह पवित्र है। नालंदा और तक्षशिला की धरोहर हमारे पास है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में विश्व को सहजता से अपने साथ जोड़ने के लिए हम आतुर हैं। इसी भाव का परिणाम है कि कोविड की त्रासदी के समय 100 से अधिक देशों को दवा उपलब्ध करा कर प्रधानमंत्री मोदी ने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को सार्थक किया।
भारतीय ज्ञान परम्परा को आधार बनाते हुए विज्ञान और गणित सहित सभी क्षेत्रों में अध्ययन-अध्यापन को प्रोत्साहित करना मुख्य उद्देश्य
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि प्रदेश में राज्य स्तर पर तथा सभी विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ गठित किए जाएंगे। अंग्रेजों को यह ज्ञात था कि भारत की सामर्थ्य और शक्ति उसकी शिक्षा पद्धति में निहित है। अत: उन्होंने भारतीय शिक्षा पद्धति को समाप्त करने पर विशेष ध्यान दिया। भारतीय ज्ञान परम्परा को आधार बनाते हुए विज्ञान और गणित सहित सभी क्षेत्रों में अध्ययन-अध्यापन को प्रोत्साहित करना हमारा मुख्य उद्देश्य है। शिक्षा के माध्यम से भारत को वर्ष 2047 तक विश्व गुरू बनाने के लिए प्रयास जारी रहेंगे।
दो दिवसीय कार्यशाला में होंगे 26 सत्र
संचालक मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी कड़ैल ने जानकारी दी कि मध्यप्रदेश भारतीय ज्ञान परम्परा पर चिंतन मंथन करने वाले देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। दो दिवसीय कार्यशाला में कुल 26 सत्र होंगे। सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास डॉ. अुतल कोठारी ने कहा कि आधुनिक संदर्भों से तादात्म्य स्थापित करते हुए भारतीय ज्ञान परम्परा का समावेश पाठ्यक्रमों में करने के उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। सभी कार्यक्षेत्र में भारतीयता लाने का प्रयास हमारा मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने राज्य स्तर पर भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ स्थापित करने तथा सभी विश्वविद्यालयों में इस प्रकार कार्यशाला आयोजित करने की आवश्यकता बताई।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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