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- Thursday, Nov 21, 2024
by NewsDesk - 20 Aug 24 | 102
नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को कांग्रेस पर वरिष्ठ नौकरशाही में लेटरल एंट्री की सरकार की पहल पर भ्रामक दावे करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस कदम से अखिल भारतीय सेवाओं में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की भर्ती प्रभावित नहीं होगी। वैष्णव ने कहा कि नौकरशाही में लेटरल एंट्री 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान होती रही है। लेटरल एंट्री वाले नौकरशाहों का कार्यकाल तीन साल का है जिसमें दो साल का संभावित विस्तार शामिल है। वैष्णव ने कहा कि मनमोहन सिंह ने 1971 में तत्कालीन विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में लेटरल एंट्री से प्रवेश किया था और वित्त मंत्री बने और बाद में प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि इस रास्ते से सरकार में शामिल हुए अन्य लोगों में सैम पित्रोदा और वी कृष्णमूर्ति, अर्थशास्त्री बिमल जालान, कौशिक बसु, अरविंद विरमानी, रघुराम राजन और अहलूवालिया हैं। जालान सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार और बाद में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे। विरमानी और बसु को भी क्रमशः 2007 और 2009 में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया अतीत में की गई ऐसी पहल के प्रमुख उदाहरण हैं। मंत्री ने तर्क दिया कि प्रशासनिक सेवाओं में लेटरल एंट्री के लिए प्रस्तावित 45 पद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की कैडर संख्या का 0.5 प्रतिशत हैं, जिसमें 4,500 से अधिक अधिकारी शामिल हैं और इससे किसी भी सेवा की सूची में कटौती नहीं होगी।राजन ने मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में भी काम किया और बाद में 2013 से 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया। अहलूवालिया को शैक्षणिक और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से सरकारी भूमिकाओं में लाया गया था। उन्होंने 2004 से 2014 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वैष्णव ने कहा कि इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का प्रमुख नियुक्त किया गया था।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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