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- Sunday, Nov 24, 2024
by NewsDesk - 25 Feb 24 | 175
-प्रधानमंत्री मोदी मन की बात कार्यक्रम के 110वें एपिसोड को संबोधित किया
-कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं से बात की
-चुनाव आचार संहिता के चलते 3 माह नहीं हो सकेगी मन की बात
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को मन की बात कार्यक्रम के 110वें एपिसोड को संबोधित किया। लोकप्रिय ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों से रूबरू हुए पीएम मोदी ने सीतापुर की ड्रोन दीदी से बात की। उन्होंने कहा कि देश में नमो दीदी ड्रोन की चर्चा हो रही है। देश की नारी शक्ति हर क्षेत्र में आगे हैं।
मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ दिनों बाद 8 मार्च को हमलोग महिला दिवस मनाएंगे। यह विशेष दिन देश की विकास यात्रा में नारी शक्ति के योगदान को सैल्यूट करने का अवसर प्रदान करता है। महान कवि भरतियार ने कहा था कि दुनिया तभी समृद्ध हो सकती है जब महिलाओं को समान अवसर प्रदान किए जाएंगे। मन की बात कार्यक्रम को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि मार्च में लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू हो जाएगी, ऐसे में अगले 3 माह तक ‘मन की बात’ कार्यक्रम का प्रसारण नहीं किया जा सकेगा। कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने सीतापुर की ड्रोन दीदी नाम से पहचानी जाने वाली सुनीता से भी बात की। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आज गांव-गांव में ड्रोन दीदी की चर्चा हो रही है, हर किसी की जुबान पर नमो ड्रोन दीदी, नमो ड्रोन दीदी चढ़ा हुआ है। कुछ साल पहले तक आखिर किसने सोचा था कि हमारे देश के गांव में रहने वाली महिलाएं भी ड्रोन उड़ाएंगी, लेकिन आज यह संभव हो रहा है। पीएम मोदी ने कहा, कि आज देश में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं, जिसमें देश की नारी-शक्ति पीछे रह गई हो।
पीएम मोदी ने मन की बात में आगे कहा कि देश में एक क्षेत्र और है जहां महिलाओं ने अपनी नेतृत्व क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वह प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और स्वच्छता का क्षेत्र है। केमिकल से होने वाले दर्द और कष्ट से हमारी धरती मां को बचाने में देश की मातृशक्ति बड़ी भूमिका निभा रही है। महिलाएं अब प्राकृतिक खेती को विस्तार दे रही हैं। उन्होंने कहा, कि आज देश में जो जल जीवन मिशन के तहत काम हो रहा है तो इसके पीछे पानी समितियों की बहुत बड़ी भूमिका है और पानी समिति का नेतृत्व महिलाओं के पास है। इसके अतिरिक्त बहन-बेटियां, जल संरक्षण के लिए चहुंओर प्रयास कर रही हैं।
पीएम मोदी ने कहा, कि आज हम सभी के जीवन में तकनीक का महत्व बहुत बढ़ गया है। मोबाइल फोन, डिजिटल गैजेट्स हम सभी की जिदंगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ दिन बाद ही 3 मार्च को विश्व वन्य जीव दिवस है। यह दिवस वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। ऐसे में इस वर्ष इस खास दिवस की थीम में डिजिटल नवाचार को सर्वोपरि रखा गया है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आज डिजिटल गैजेट्स की मदद से वन्य जीवों के साथ तालमेल बिठाने में भी मदद मिल रही है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि यह जानकार आपको खुशी होगी कि हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में वन्य-जीवों के संरक्षण के लिए टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग हो रहा है। आज युवा इंट्रेप्रेनर्स भी वन्य जीव संरक्षण और इको-टूरिज्म के लिए नए-नए इनोवेशन सामने ला रहे हैं। हमारे भारत देश में तो प्रकृति के साथ तालमेल हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। इसके चलते ही हम हजारों वर्षों से प्रकृति और वन्य जीवों के साथ सह-अस्तित्व की भावना से रहते आये हैं। उन्होंने कहा कि बकरी एक अहम पशु-धन है, उसकी इतनी चर्चा नहीं होती है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अनेक लोग बकरी पालन जैसे व्यवसाय से भी जुड़े हुए हैं।
पीएम मोदी ने बिहार का जिक्र करते हुए कहा कि परमार्थ परमो धर्मः’ बिहार में भोजपुर के भीम सिंह भवेश जी की कहानी प्रेरणादायी है। मुसहर जाति के लोगों के बीच इनके कार्यों की खूब चर्चा है। उन्होंने कहा, कि कितने ही लोग नि:स्वार्थ भाव से भारतीय संस्कृति के संरक्षण और इसे सजाने-सँवारने के प्रयासों में लगे हुए हैं। आपको ऐसे लोग देश के हर हिस्से में मिल जाएंगे। इनमें से बड़ी संख्या उनकी है, जो भाषा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दोरान जम्मू-कश्मीर का भी जिक्र किया ओर कहा कि जम्मू-कश्मीर में गान्दरबल के मोहम्मद मानशाह जी पिछले तीन दशक से गोजरी भाषा को संरक्षित करने के लिए अथक प्रयासों में जुटे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश में तिरप के बनवंग लोसू जी एक शिक्षक हैं। उन्होंने वांचो भाषा का प्रसार करने में अपना अहम योगदान दिया है। वांचो भाषा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जो गीतों और नृत्यों के माध्यम से अपनी संस्कृति और भाषा को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कर्नाटका के वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर का जीवन भी इस संबंध में बहुत प्रेरणादायी है।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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