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राहुल गांधी को धराशायी करने में जुटी हैं स्मृति ईरानी, अमेठी में हराया अब वायनाड पर नजर....

by NewsDesk - 04 Apr 24 | 199

नई दिल्ली। भाजपा का दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी,कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पीछे पड़ी है। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में अपनी जीत के बाद भी राहुल गांधी का पीछा नहीं छोड़ा है। उन्होंने कई बार वायनाड का भी दौरा किया। अब खबर आ रही है कि वह राहुल गांधी के खिलाफ मैदान में उतरे भाजपा कैंडिडेट के नॉमिनेशन में शिरकत करेंगी। भाजपा और स्मृति ईरानी की कोशिश है कि वायनाड को गांधी परिवार के लिए आसान सीट नहीं बनने दिया जाए। कभी कांग्रेस कांग्रेस का गढ़ रही अमेठी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी कर चुके हैं।

2019 में अमेठी की ऐतिहासिक जीत से पहले राज्यसभा सांसद और नरेंद्र मोदी कैबिनेट में मंत्री रह चुकीं स्मृति ईरानी को 2014 में भी अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ खड़ा किया गया था।

कांग्रेस ने राहुल गांधी को फिर से वायनाड से मैदान में उतारा है और उन्होंने बुधवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। केरल की अधिकांश सीटों पर मुकाबला कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ के बीच है। इस सीट पर हालांकि राहुल गांधी को बीजेपी के बड़े नेता का सामना करना पड़ेगा। भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को वायनाड से मैदान में उतारा है। एलडीएफ ने राहुल गांधी के खिलाफ लोकप्रिय सीपीआई चेहरा एनी राजा को मैदान में उतारा है। तीन लोकसभा और पांच विधानसभा चुनाव हार चुके सुरेंद्रन को अब स्मृति ईरानी से मदद मिलेगी। सुरेंद्रन ने कहा, मैं सौभाग्यशाली हूं कि नामांकन के लिए मेरे साथ अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी भी रहेंगी। आपको बता दें कि स्मृति ईरानी वायनाड में के सुरेंद्रन के नामांकन के दिन उनके साथ शामिल होंगी। ऐसा लगता है कि अमेठी के बाद स्मृति ईरानी दक्षिण में भी राहुल गांधी का पीछा कर रही हैं। स्मृति ईरानी ने वायनाड में भी राहुल गांधी पर दबाव बनाया है। वह नियमित रूप से राहुल गांधी से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के जंक्शन पर स्थित सीट वायनाड के बारे में सवाल पूछती रही हैं। बीजेपी को अपनी स्थिति को लेकर कोई भ्रम नहीं है, लेकिन वह बिना लड़े वायनाड छोड़ने को तैयार नहीं है।

2014 में स्मृति ईरानी राहुल गांधी से एक लाख वोटों से हार गईं। हालांकि जुझारू स्मृति ईरानी ने इस अंतर को 5 साल की मेहनत से पाट दिया। राहुल गांधी ने 2004 और 2009 में क्रमशः 66फीसदी और 72 फीसदी वोट शेयर के साथ लगभग दो लाख वोटों के अंतर से अमेठी सीट जीती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने अमेठी में राहुल गांधी की घटती लोकप्रियता को स्वीकार कर लिया था। यही कारण है कि उन्हें वायनाड से मैदान में उतारा गया। इस सीट पर 2009 और 2014 में कांग्रेस के एमआई शानवास सांसद चुने गए थे। 2018 में उनकी मृत्यु हो गई और यह सीट खाली हो गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55,000 वोटों से हराया, लेकिन राहुल गांधी वायनाड की सुरक्षित सीट से संसद चुने गए। राहुल ने 64.8फीसदी वोट शेयर के साथ सीपीआई उम्मीदवार को 4.3 लाख वोटों के भारी अंतर से हराया। एनडीए उम्मीदवार तुषार वेल्लापल्ली को महज 6.2फीसदी वोट मिलने के कारण अपनी जमानत जब्त करनी पड़ी। पांच साल बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने स्मृति ईरानी को अमेठी से फिर से उम्मीदवार बनाया है।हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक इस सीट के लिए अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। अगर गांधी परिवार से कोई इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ता है तो इस बात की संभावना है कि यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में चली जाए।

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