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by NewsDesk - 17 Jan 24 | 145
- सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
नई दिल्ली। मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर का सर्वे कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल अस्पष्ट आवेदन पर भी सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने हिंदू पक्ष से कहा कि सर्वे कमिश्नर की नियुक्ति के लिए एक अस्पष्ट आवेदन दायर नहीं कर सकते हैं। इसका मकसद स्पष्ट होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर हिंदू संगठन, भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य से जवाब मांगा है। इस केस पर अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्वे वाले केस को छोडक़र श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह से जुड़े अन्य सभी केस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चलती रहेगी। इससे पहले, 14 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार करते हुए परिसर का सर्वे कराने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष यानी वक्फ बोर्ड की उन दलीलों को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने याचिका को सुनने योग्य नहीं होने का दावा किया था।
हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह के 13.37 एकड़ जमीन पर विवाद है। इसलिए हिंदू पक्ष ने सर्वे की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अगली तारीख तक के लिए रोक लगा दी है।
सर्वे होगा, तो सब सामने आ जाएगा
कोर्ट के फैसले पर वादी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने बताया, हिंदू पक्ष के पास प्राचीन सबूत हैं। खसरा खतौनी में नाम हिंदू पक्ष का है। बिजली और पानी का बिल हिंदू पक्ष देता है। नगर निगम का टैक्स भी हिंदू पक्ष देता है, इसलिए एक न एक दिन सर्वे अवश्य होगा। क्योंकि, कोर्ट सबूत के आधार पर फैसला देती है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष कुछ दिनों के लिए सर्वे को रोकने में सफल हो गया है। मुस्लिम पक्ष तो यही चाहता है कि सर्वे को कुछ दिनों के लिए रुकवाया जाए, क्योंकि उनको पता है कि जब सर्वे हो जाएगा, तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
हिंदू पक्षकारों ने समझौते को बताया अवैध
श्रीकृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में 12 अक्टूबर 1968 को एक समझौता हुआ था। श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के सहयोगी संगठन श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ और शाही ईदगाह के बीच हुए इस समझौते में 13.37 एकड़ भूमि में से करीब 2.37 एकड़ भूमि शाही ईदगाह के लिए दी गई थी। हालांकि, इस समझौते के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ को भंग कर दिया गया। इस समझौते को हिंदू पक्ष अवैध बता रहा है। हिंदू पक्ष के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ को समझौते का अधिकार था ही नहीं।
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