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एशिया का सबसे बड़ा स्लम धारावी पुनर्विकास योजना का मुद्दा अब राजनीतिक बना

by NewsDesk - 06 Jan 24 | 245

मुंबई के धारावी में हजारों झुग्गी तोड़ आलीशान बिल्डिंग बनाने का विरोध

मायानगरी मुंबई के बीचों बीच पतली गलियों, कचरे के ढेर और झुग्गी झोपड़ी वाली ऐसी बस्ती है जहां बहुत कम जगह में करीब 10 लाख लोग रहते हैं. ये एशिया का सबसे बड़ा स्लम है. चुनाव से पहले एक बार फिर एशिया की सबसे बड़ी इस झुग्गी झोपड़ी वाली बस्ती 'धारावी' की चर्चा शुरू हो गई है. धारावी का रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का मुद्दा अब राजनीतिक बन गया है. यहां रहने वाले हजारों परिवार और तमाम विपक्षी पार्टियां धारावी पुनर्विकास परियोजना का विरोध कर रहे हैं.यहां के लोगों को डर है कि कहीं रिडेवलपमेंट के नाम पर उनका घर छीन न लिया जाए और कहीं वे बेघर न हो जाएं.मुंबई का धारावी एशिया का सबसे बड़ा स्लम कहा जाता है. जनसंख्या के हिसाब से ये एशिया का सबसे बड़ा स्लम है, मगर एरिया के हिसाब से देखें तो एशिया का दूसरा और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्लम एरिया है.धारावी मुंबई शहर के बीचों बीच बसा है. ये एरिया मुंबई की दो रेलवे लाइव वेस्टर्न और सेंट्रल के बीच मौजूद है. एक तरफ मुंबई का मशहूर बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स और दूसरी तरफ दादर है. 

 

यहां लगभग 10 लाख लोग रहते हैं 

 

धारावी में रहने वाले लोगों की सही जनसंख्या का पता लगा पाना मुश्किल है लेकिन पिछली जनगणना के अनुसार, यहां झुग्गी बस्ती में करीब 10 लाख (1 मिलियन) लोग रहते हैं. ये जनसंख्या दुनिया के कई देशों की पॉपुलेशन से ज्यादा है.इतनी ज्यादा आबादी की वजह से धारावी को दुनिया का सबसे घना इलाका भी कहा जाता है. करीब दो वर्ग किमी के एरिया में इतने लोगों का बसना बहुत बड़ी बात है. रिपोर्ट के अनुसार, धारावी में कुल 63 फीसदी हिंदू, 30 फीसदी मुस्लिम, 6 फीसदी ईसाई और 1 फीसदी अन्य धर्म के लोग रहते हैं. यहां ज्यादातर लोग पढ़ाई को महत्व देते हैं. 69 फीसदी की साक्षरता दर के साथ धारावी देश की सबसे अधिक पढ़ी लिखी झुग्गी है. 

 

धारावी में खास है 

 

धारावी में रहने वाले काफी लोग अपना व्यापार करते हैं. उन्होंने अपने घर या बाहर छोटे-बड़े कारखाने लगा रखे हैं जहां वह कई तरह के प्रोडक्ट बनाते हैं जिनमें कपड़ा, चमड़ा, मिट्टी के बर्तन, स्टील आदि शामिल है. इस कारण यहां लगभग एक लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. ये उत्पाद यहां से सिर्फ मुंबई ही नहीं बल्कि ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए देश और दुनियाभर में बेचें जाते हैं.यानी कि धारावी से दुनियाभर में माल निर्यात होता है. कुल 500 मिलियन डॉलर से लेकर 1 बिलियन डॉलर सालाना तक का कारोबार होने का अनुमान है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां चलने वाले बिजनेस का भारत की इकनॉमी में कितना बड़ा योगदान होगा.इसके अलावा धारावी में रिसाइकिलिंग काम भी बड़े पैमाने पर होता है. मुंबई का 60% प्लास्टिक कचरा धारावी में रिसाइकिल किया जाता है. सिर्फ मुंबई या महाराष्ट्र से ही नहीं बल्कि देशभर से आने वाले प्लास्टिक वेस्ट को यहां रिसाइकिल किया जाता है. धारावी के ढाई लाख से ज्यादा लोग रिसाइकिलिंग का काम करते हैं. 

 

20 साल पहले 2004 में शुरू किया गया था धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट

 

धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट एक ऐसी परियोजना है जिसका मकसद एशिया के सबसे बड़े स्लम एरिया को तोड़कर हाई राइज बिल्डिंग और कई तरह के विकास किए जाने है. ये कोई नया प्रोजेक्ट नहीं बल्कि 20 साल पहले 2004 में शुरू किया गया था.इस प्रोजेक्ट के तहत धारावी में रहने वाले 68,000 परिवारों को दूसरे स्थान पर बसाने का प्लान है. हर परिवार को 405 वर्ग फीट कारपेट एरिया का घर देने का प्लान है.महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना सरकार ने साल 1999 में सबसे पहले धारावी के डवलपमेंट का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद में 2004 में दिवंगत विलासराव देशमुख के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने मुंबई को झुग्गी-झोपड़ी से मुक्त कर शहर बनाने के मकसद से स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (SRA) के तहत धारावी रिडेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया था. कई बार साल 2007, 2009, 2011, 2016, 2018 और 2022 में ग्लोबल टेंडर जारी किए गए. मगर किसी न किसी वजह से ये प्रोजेक्ट अटकता रहा. आखिरकार, 2022 में 5069 करोड़ की सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले देश के एक बड़े उद्योगपति को धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट सौंप दिया गया. तभी से महाराष्ट्र में तमाम विपक्षी पार्टियां प्रोजेक्ट का विरोध कर रही है. 

 

नये विवाद का कारण बनी 47.5 एकड़ रेलवे जमीन !

 

महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने नवंबर 2018 में झुग्गी बस्ती के रिडेवलपमेंट के लिए एक नए मॉडल को मंजूरी दी थी. जनवरी 2019 में दुबई-बीआरडी कंसोर्टियम और सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन ने सबसे ज्यादा बोली लगाई थी, मगर 47.5 एकड़ रेलवे जमीन को प्रोजेक्ट में शामिल करने के निर्णय के कारण टेंडर नहीं दिया गया. अक्टूबर 2020 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) सरकार ने ये टेंडर रद्द कर दिया. कारण बताया कि केंद्र सरकार प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक रेलवे जमीन को ट्रांसफर करने में देरी कर रही है. इसके बाद राज्य में एकनाथ शिंदे सरकार आने के बाद केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 18 अक्टूबर 2023 को रेलवे की जमीन सौंपने के लिए हस्ताक्षर कर दिए.उधर सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन ने अदालत का दरवाजा खटखा दिया. कंपनी का आरोप है कि राज्य सरकार ने धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए 2018 में दिए गए टेंडर को गलत तरीके से रद्द कर दिया और दूसरे उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के लिए नया टेंडर जारी कर दिया.

 

धारावी के लोग चाहते हैं !

 

धारावी में रहने वाले एक शख्स ने एक यूट्यूब चैनल से बात करते हुए कहा, 'हम धारावी का विकास चाहते हैं. लेकिन सरकार ने अपने उद्योगपति मित्र के साथ फिक्सिंग करके ये टेंडर दिया है. हम इसका विरोध करते हैं. उन्हें सिर्फ यहां की जमीन चाहिए, यहां के लोग नहीं चाहिए. हमें बसाने की बात कोई नहीं करता है, सिर्फ हमें मुंबई से बाहर भेजने की बात करता है. स्वच्छता अभियान के नाम पर यहां पर लोगों का घर तोड़ दिया जाता है. उन्होंने आगे कहा, धारावी मिनी इंडिया है. यहां की जमीन सोने की खान है. यहां सभी जाति-धर्म, सभी भाषा और सभी प्रदेश के लोग यहां रहते हैं. हमें धारावी का विकास चाहिए लेकिन सरकार के दामाद का विकास नहीं चाहिए. सरकार जनता को सिर्फ जुमला देती है, वादा करती है लेकिन निभाती नहीं है. हमें जबतक अपना मकान नहीं मिलेगा, यहां से कहीं नहीं जाएंगे. पुलिस अगर बल का प्रयोग करती है तो सड़क पर उतरेंगे, ये हमारा संविधानिक अधिकार है. अपने घर के लिए कुछ भी करेंगे.

 

कंपनी और सरकार का है कहना !

 

धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) के आधिकारिक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, टेंडर निष्पक्ष और नियमों के तहत लिया गया है. राज्य में उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान टेंडर की शर्तें जारी कर दी गई थी. उन शर्तों को नहीं बदला गया है. प्रवक्ता ने आगे कहा, ये आरोप गलत है कि उद्योगपति को फायदा पहुंचाया गया है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रोजेक्ट की कुछ बातों को गलत तरीके से फैलाया जा रहा है. ये बात हम दोहराते हैं कि यहां के हर एक परिवार को धारावी में ही नया मकान दिया जाएगा. टेंडर की शर्तों के अनुसार, रेंटल हाउसिंग पॉलिसी के तहत आवास उपलब्ध कराए जाएंगे. वहीं मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए टेंडर को नवंबर 2019 और जून 2022 के बीच सत्ता में रही उद्धव ठाकरे सरकार ने ही अंतिम रूप दिया था. धारावी के विकास के लिए टेंडर की शर्तें और टेंडर दोनों ही तब तैयार किया गया था जब उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री थे.

 

धारावी को स्लम एरिया कहा जाता है 

 

स्लम मतलब गंदी बस्ती. धारावी बहुत ही घनी आबादी वाला एरिया है. यहां बहुत ही कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं. इस वजह से इलाके में गंदगी काफी ज्यादा है. यहां साफ पानी, साफ-सफाई, बिजली और सही व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. धारावी में रहने वाले ज्यादातर लोग गरीबी में जीते हैं और कम वेतन वाली नौकरी करते हैं.

 

धारावी का इतिहास

 

मुंबई शहर के बीचों बीच बसा धारावी 18वीं सदी में एक आईलैंड हुआ करता था. तब यहां पर मछुआरे मछली पकड़ने का काम किया करते थे लेकिन समय के साथ यहां की स्थिति बदलती गई. यहां का पानी दलदल बन गया, जिस कारण मछली पकड़ने का काम बंद हो गया है.इसके बाद यहां लोगों ने गांव बना लिया और रहना शुरू कर दिया. तब लोगों की संख्या काफी कम थी. जब ब्रिटिश काल के समय कई गरीब लोगों को शहर से हटाया जाने लगा और कई कारखाने शहर से हटा दिए तो ज्यादातर लोग धारावी में आकर रहने लगे, क्योंकि यहां रहना खाना पीना सस्ता था. तब से यहां लोगों की संख्या बढ़ने लगी और धीरे-धीरे स्लम एरिया में तब्दील हो गया. देखते ही देखते धारावी एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया बन गया.

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