• trending-title
  • ऋचा का कातिलाना अंदाज और पोज़ बहुत पसंद आया फैंस को
  • Saturday, Nov 23, 2024

जहां नारियों का सम्मान होता है, वहीं देवता विराजते हैं : ज्योतिरादित्य सिंधिया

by NewsDesk - 18 Mar 24 | 192

अशोकनगर : जिले के दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया रविवार को अग्रवाल पैलेस में मातृशक्ति सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान सिंधिया ने कहा कि, हजारों सालों से पूरे भारत की संस्कृति शक्ति धार्मिक शक्ति, अध्यात्म छमता केवल मात्र शक्ति में है। हमारे शास्त्रों में लिखा है जहां नारियों का सम्मान होता है वहीं देवता विराजते हैं। कई काल खंडों तक, एक के बाद एक, युगों-युगों तक सदेव भारत को मात्र शक्ति व नारी शक्ति ने सदैव एक नए पथ पर उजागर करने का कार्य किया। इसके कई उदाहरण और प्रचंड कहानी है। देवी देवताओं के बारे में बताया की हमारी माता पार्वती, माता सीता, माता यशोदा, माता सवरी हमारी माताओं के आधार पर ही भारत की उन्नति एवं विकास सुनिश्चित हो पाया है। मां दुर्गा से लेकर मां लक्ष्मी तक, एक-एक देव के साथ एक और ज्यादा महत्वपूर्ण और अखंड भगवान रुप विराजती हैं। अगर हम इतिहास व संस्कृति की बात करें। भगवान कृष्ण के साथ यशोदा मां का नाम आता है। एक-एक देव के साथ उनकी माता सबके स्मरण में होती है। इस देश को अग्रसर करने हर एक काल खंडो में नाम रहा। सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर के राजा मान सिंह तोमर की बात करें तो उनकी सबसे प्रखंड व सबसे प्रचंड महाराज मृगनयनी थी। गूजर महाराज थी। राजा मान सिंह शिकार पर निकले तो उन्होंने महारानी को बैल से कुश्ती करते हुए देखा। इसके बाद उन्होंने लग्न का निवेदन किया तो महारानी मृगनयनी ने राजा के समक्ष तीन शर्त रखी। महारानी ने कहा कि मेरा गांव का पानी किले तक आना चाहिए। मेरी प्यास गांव के पानी से ही बुझेगी। दूसरा अन्य रानियों से अलग महल बनवाएं इसी लिए ग्वालियर के किले पर मान सिंह महल के पास ही गुजरी महल है, महारानी का। तीसरा जब-जब आप लड़ाई में आगे निकालोगे आपके दायने वाले घोड़े पर में बैठूंगी और लड़ाई में मैं आपका साथ दूंगी। उन्होंने कहा कि जबलपुर की रानी दुर्गावती, झांसी की मराठा रानी, ग्वालियर की रानी बैदा बाई, इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर। इस युग की बात करें तो सावित्री बाई फुले ये आज केवल महिलाओं की आदर्श नहीं, बल्कि 140 करोड़ जनता का आदर्श बन गई है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, जो सोने की चिडिय़ा का संदर्भ इस मंच से दिया गया था, आज भारत का समय, इस सफर पर भारत अग्रसर हो चुका है। अमृत काल से सतावदी काल तक, प्रधानमंत्री ने संकल्प लिया है की भारत को विश्व गुरु के रुप में स्थापित करना होगा और विश्व मित्र के रुप में स्थापित करना होगा।

Updates

+