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पहले सूर्य ग्रहण को लेकर राजा को सताने लगता था मौत का डर, अब उत्सवी माहोल में रचाई जा रही शादी

by NewsDesk - 09 Apr 24 | 70

न्यूयॉर्क। कई देशों में मान्यता होती थी कि सूर्य ग्रहण होने के कारण वहां के राजा की मौत हो जाएगी। मौत के डर के कारण राजा खुद को बचाने के लिए कई तरह के जतन करता था। अब हालात इसके ठीक विपरीत है। इस बार हुए सूर्य ग्रहण पर अमेरिका सहित तीन देशों में इसे उत्सव के तौर पर लिया गया। लोग खुश थे और सूर्य ग्रहण को एक त्यौहार की तरह इंजॉय करते देखे गए। करीब 400 जोड़ों ने इसे यादगार बनाने के लिए शादी भी रचा ली। क्योंकि जिस तरह का सूर्य ग्रहण इस बार हुआ है वो अब सीधे 21 साल बाद यानी 2045 में दिखाई देगा। वहीं नासा ने भी इस मौके पर 3 रॉकेट लॉन्च कर अंतरिक्ष रिसर्च में एक नया अध्याय जोड़ने की कोशिश की है। 

 

मौत के डर से राजा घर छोड किसान बन जाता था 

 

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक 4156 साल पहले 22 अक्टूबर 2134 ईसा पूर्व चीन में 2 ज्योतिषियों को मौत की सजा दी गई थी। इसकी वजह ये थी कि वो सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी करने में नाकामयाब रहे थे। उस वक्त चीन में मान्यता था कि सूर्य ग्रहण के दिन राजा की मौत हो जाती है। इसलिए ग्रहण की जानकारी देने के लिए महल में 2 ज्योतिषी रखे जाते थे। ऐसी ही मान्यता मेसोपोटेमिया में भी थी। वहां के लोगों का मानना थी कि सूर्य ग्रहण लगने के 100 दिन भीतर राजा मारा जाएगा। ऐसे में मौत से बचने के लिए राजा कुछ समय तक भाग जाता था और दूरदराज के इलाकों में किसान का भेष बनाकर रहता था। इन 100 दिनों तक राजा की गद्दी पर किसी अपराधी को रखा जाता था, ताकि अगर मौत आए तो वो अपराधी मारा जाए। एक बार कुछ उलटा ही हुआ। 3,872 साल पहले 1850 ईसा पूर्व किसान बने राजा की मौत हो गई और राजा बना अपराधी गद्दी पर कायम रहा। 

 

सूर्य ग्रहण ने रुकवाई जंग 

 

करीब 2,622 साल पहले 28 मई 585 ईसा पूर्व की बात है। तुर्किये में हेलिस नदी के किनारे मेडेस और लिडिया नाम के 2 ताकतवर साम्राज्यों के बीच जंग छिड़ थी। ग्रीक इतिहासकार हीरोडोटस के मुताबिक मेडेस के राजा ने कुछ शिकारियों का अपमान किया था। बदला लेने के लिए शिकारियों ने राजा के बेटे की हत्या कर दी और भागकर पड़ोसी साम्राज्य लिडिया में पनाह ले ली।जब मेडेस के राजा ने बेटे के हत्यारों को सौंपने को कहा तो लिडिया के राजा ने इनकार कर दिया। इस बात पर नाराज होकर मेडेस ने लिडिया के खिलाफ जंग छेड़ दी। 6 साल गुजरने के बावजूद जंग रुकने का नाम नहीं ले रही थी।ग्रीक इतिहासकार हीरोडोटस लिखते हैं, एक रोज जब दोनों सेनाएं कत्लेआम में जुटी थीं कि अचानक दिन में ही अंधेरा छाने लगा। वो दिन पूर्ण सूर्य ग्रहण का था। इस बदलाव को देखकर मेडेस और लिडियंस हैरान रह गए और उसी दिन जंग रोकने का फैसला कर लिया। 

 

सूर्य ग्रहण देखने 50 लाख लोग अमेरिका पहुंचे 

 

मैक्सिको में भारतीय समय अनुसार सोमवार रात करीब 10 बजे दिन में अंधेरा छा गया। इसी के साथ साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा। मैक्सिको के साथ-साथ इसका असर अमेरिका और कनाडा में भी दिखा। यहां ग्रहण के रास्ते में पड़ने वाले राज्यों में करीब 4 मिनट 28 सेकेंड तक दिन में अंधेरा रहा। वहीं, 54 देशों में आंशिक सूर्य ग्रहण लगा। सोमवार को लगे सूर्य ग्रहण का भारत में कोई असर दिखाई नहीं दिया, क्योंकि ग्रहण जब शुरू हुआ उस वक्त यहां रात थी। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने बताया कि अब अमेरिका में अगले 21 सालों तक (2045) ऐसा सूर्य ग्रहण देखने को नहीं मिलेगा।साल 2017 के बाद यह पहला मौका था जब नॉर्थ अमेरिका में पूर्ण सूर्य ग्रहण नजर आया। नासा के मुताबिक, पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि 10 सेकेंड से साढ़े 7 मिनट तक की हो सकती है। 2017 में यह अवधि 2 मिनट 42 सेकेंड रही थी। वहीं सोमवार को पूर्ण सूर्य ग्रहण 4 मिनट 28 सेकेंड तक रहा।ग्रहण की पहली झलक मैक्सिको के माजतलान में तो वहीं इसका आखिरी नजारा कनाडा के न्यूफाउंडलैंड में दिखा। नासा के मुताबिक, सूर्य ग्रहण अपने पूर्ण रूप में मैक्सिको के नाजास शहर में नजर आया। यहां इसकी अवधि 4 मिनट 28 सेकेंड रही। खबरों के मुताबिक, अमेरिका में इस बार के पूर्ण सूर्य ग्रहण के रास्ते में 3 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। इसके अलावा, अधिकारियों के मुताबिक, करीब 50 लाख लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से सूर्य ग्रहण देखने अमेरिका पहुंचे। ग्रहण के शुरू होने से लेकर पूर्ण ग्रहण लगने तक करीब 80 मिनट का समय लगा। इसके बाद पूरी तरह से ग्रहण हटने में और 80 मिनट लगे। 

 

सूर्य ग्रहण में 400 से ज्यादा जोड़ों ने रचाई शादी

 

अमेरिका के अर्कंसास में सूर्य ग्रहण के दौरान 400 जोड़ों ने शादी रचाई। स्थानीय मीडिया के मुताबिक सभी ने जीवनभर ग्रहण जैसे अजूबे एकसाथ देखने और चांद-तारों की कसमें खाईं। इस दौरान शादी के केक पर भी सूर्य ग्रहण की तस्वीर लगी हुई थी।सूर्य से निकलने वाली सोलर एनर्जी और उसके पर्यावरण पर असर को जानने के लिए नासा ग्रहण के दौरान साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किए। साउंडिंग रॉकेट स्पेस में ज्यादा दूर तक नहीं जाते हैं। इनका इस्तेमाल पृथ्वी की सतह से 48 से 145 किमी तक की स्टडी के लिए किया जाता है। बता दें कि कनाडा के ओंटारियो शहर में दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर पूर्ण सूर्य ग्रहण लगना था। हालांकि, लोग नेशनल पार्क से ग्रहण देखने के लिए सुबह 5 बजे से लाइन लगाकर खड़े हो गए थे।वहीं, अमेरिका के टेक्सास राज्य में एक शहर है- केरविल। यहां का प्रशासन 2 साल से ग्रहण की तैयारी कर रहा था। केरविल की मेयर जुडी इशनेर के मुताबिक उन्हें पहले से ही अंदाजा था कि ग्रहण देखने के लिए भारी संख्या में लोग जुटेंगे।ऐसे में भीड़ को संभालने के लिए वो 2 साल से तैयारी कर रहे थें। उनके मुताबिक केरविल में सूर्य ग्रहण देखने के लिए 70 से 80 हजार लोग आए जो उनके शहर की आबादी से 4 से 5 गुना ज्यादा है। 

 

क्या होता अगर सूरज थोड़ा भी बड़ा होता 

 

ग्रहण न सिर्फ आंखों के लिए अजूबा है बल्कि इससे पृथ्वी से जुड़े कई राज खुले हैं। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सैबाइन स्टेनली के मुताबिक पूर्ण सूर्य ग्रहण एक अजूबा है, जिसमें 3,379 किलोमीटर बड़े चट्टान का गोला यानी चांद लगभग 14 लाख किलोमीटर में फैला एक आग का गोले यानी सूरज को ढंक देता है। प्रोफेसर के मुताबिक अगर सूरज थोड़ा और बड़ा और पृथ्वी के थोड़ा और नजदीक होता तो पूर्ण सूर्य ग्रहण कभी नहीं लगता। ये इत्तेफाक ही है कि सूरज का साइज और उसकी दूरी उतनी ही है कि वो ग्रहण के वक्त पूरी तरह से चांद से ढंक जाता है। चंद्रमा अपने से 400 गुना बड़े सूरज की रोशनी पृथ्वी तक पहुंचने से रोक देता है। इतिहास में दर्ज हुए ग्रहण से पता चला है कि हमारी पृथ्वी की घूमने की स्पीड में बदलाव आए हैं। वैज्ञानिकों ने जब पृथ्वी के घूमने की स्पीड से पिछले ग्रहणों की तारीख मैच की तो उसमें फर्क दिखाई दिया। वैज्ञानिकों के मुताबिक स्पीड पर असर का मतलब ये भी है कि हमारी पृथ्वी का साइज और शेप बदल रहा है। गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 365 दिनों में एक चक्कर लगाती है। चंद्रमा एक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में चंद्रमा को 27 दिन लगते हैं। चंद्रमा के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती है। इसे सूर्यग्रहण कहते हैं। ज्यादातर सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होते हैं, क्योंकि तब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है। हर 18 महीने में दुनिया के किसी न किसी हिस्से में सूर्य ग्रहण जरूर लगता है।लुइजियाना युनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमी के प्रोफेसर ब्रेडली शेफर कहते हैं कि हजारों सालों से इंसान ने आसमान को या तो डर या सम्मान से देखा है। पहले के समय में लगभग हर सभ्यता में सूरज को भगवान का दर्जा मिला है। इसलिए सूर्य ग्रहण से जुड़ी घटनाओं के कई किस्से और कहानियां हैं। 

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