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  • Saturday, Nov 23, 2024

हमास ने यूएनएससी के प्रस्ताव को ठुकराया,गाजा में जारी रहेगी जंग

by NewsDesk - 27 Mar 24 | 170

जिनेवा । आतंकी संगठन हमास की अकड़ के चलते गाजा में हजारों लोगों की जान चली गई। महिलाएं,बच्चे और बुजुर्ग प्रताड़ना का शिकार हैं। लोगों को भोजन पानी और बुनियादी जरुरतों से वंचित कर दिया गया है। भुखमरी की कगार में पहुंचे गाजा में मानवता कराह रही है। इसके बाद भी हमास का दिल नहीं पसीज रहा। यूएनएससी ने शांति का प्रस्ताव दिया था,लेकिन हमास ने एक झटके में उसे ठुकरा दिया। अब संभावना जताई जा रही है कि जंग फिलहाल नहीं रुकेगी और किस अंजाम तक पहुंचे कोई नहीं जानता। हमास के बयान से कुछ समय पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गाजा में बंदी बनाए गए सभी लोगों की रिहाई और तत्काल युद्धविराम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस संबंध में मतदान से इजराइल और अमेरिका के बीच गतिरोध पैदा हो गया। अमेरिका ने सोमवार को मतदान में अपने ‘वीटो’ अधिकार का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया। जवाब में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल की प्रस्तावित वाशिंगटन यात्रा को निरस्त कर दिया। नेतन्याहू ने हमास की मांगों को खारिज कर दिया है। वहीं नेतन्याहू ने अमेरिका से भी नाराजगी जताते हुए कहा कि वह यूएनएससी में अपनी नीति से पीछे हट गया है। उसे इस प्रस्ताव के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल करना चाहिए था क्योंकि प्रस्ताव में बंधकों की रिहाई की बात नहीं कही गई है। बता दें कि इससे पहले अमेरिका भी सीजफायर को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया था लेकिन रूस और चीन ने इसपर वीटो लगा दिया था। इसमें बंधकों की रिहाई की भी बात कही गई थी। 

 

हमास ने इजराइल पर नए युद्धविराम प्रस्ताव की प्रमुख मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए इसे खारिज कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पास इस प्रस्ताव में युद्ध की समाप्ति और गाजा से सैनिकों की पूर्ण वापसी की बात कही गई है। मुस्लिम देशों द्वारा लाए गए यूएनएससी के अस्थायी सदस्यों के इस प्रस्ताव का चीन और रूस ने भी समर्थन किया था। वहीं अमेरिका ने वोटिंग से दूरी बना ली थी।हमास ने सोमवार देर रात एक बयान में कहा कि उसने मध्यस्थों को सूचित किया है कि वह अपनी मूल स्थिति पर कायम है, जिसे मार्च की शुरुआत में बताया गया था। इसमें कहा गया है कि इजराइल ने ‘व्यापक युद्धविराम, गाजा पट्टी से (इजराइली सैनिकों की) वापसी, विस्थापित लोगों की वापसी और वास्तविक कैदियों की अदला-बदली’ की उसकी मूल मांगों का जवाब नहीं दिया है।

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