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- Saturday, Nov 23, 2024
by NewsDesk - 19 Mar 24 | 193
नई दिल्ली । कई भारतीय प्रतिभाएं ऐसी हैं जो दूसरे देशों के लिए बेहतर काम कर रही हैं। एक बार फिर ऐसी ही प्रतिभाओं के पलायन का खतरा मंडराने लगा है। वजह ये है कि ब्रिटेन करीब दो हजार भारतीय डॉक्टरों को अपने यहां नियुक्त करने जा रहा है। चिकित्सा उद्योग से जुड़े सूत्रो की माने तों ब्रिटेन में डॉक्टरों की अत्यधिक कमी होने के कारण यह कदम उठाया गया है। एनएचएस पहले बैच के डॉक्टरों के लिए स्नातकोत्तर प्रशिक्षण शुरू करेगी और प्रशिक्षण पूरा करने के 6 से 12 महीने के बाद इनकी नियुक्ति अस्पतालों में की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि यह प्रशिक्षण पूरा करने पर डॉक्टरों को प्रोफेशनल ऐंड लिंग्विस्टिक असेसमेंट्स बोर्ड (पीएलएबी) परीक्षा से छूट मिलेगी।
हालांकि इस पहल को एनएचएस में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के रूप में देखा जा रहा है जबकि कुछ अन्य इसे भारत के स्वास्थ्य सेवा में संभावित प्रतिभा पलायन के रूप में देखते हैं। उजाला सिग्नस समूह अस्पताल के इंटरनल मेडिसन के डॉक्टर शुचिन बजाज ने कहा, ‘इस कदम का भारत पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह संख्या बेहद कम 2000 है। भारत में हर साल 1,10,000 डॉक्टर पढ़कर निकलते हैं। एनएचएस के इस कदम से वहां डॉक्टरों के स्थायी रूप से बसाए जाने की गारंटी नहीं है, लेकिन ऐसे डॉक्टरों को बहुमूल्य अनुभव हासिल हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि ज्ञान और अनुभव के इस लेन-देन से भारत और ब्रिटेन दोनों देश लाभान्वित होंगे। एनएचएस से बेहद करीबी रूप से जुड़े हुए डॉक्टर रवि बैज ने बताया कि एनएचएस का लंबे समय से विदेशी डॉक्टरों पर निर्भर रहने का इतिहास रहा है।
डॉक्टर रवि ने कहा, ‘भारत के डॉक्टरों के ब्रिटेन जाने से प्रतिभा पलायन हो सकता है। लिहाजा यह भारत सरकार के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है कि इस सिलसिले में कदम उठाए। भारत अपने यहां प्रशिक्षत डॉक्टरों को देश में पर्याप्त अवसर मुहैया करवाए। इस क्रम में डॉक्टरों को उनके कौशल के अनुसार पर्याप्त वेतन पैकेज मुहैया करवाया जाए ताकि वे प्रोफेशनल मानदंडों का पालन करते हुए अपनी पसंद की जिंदगी जी सकें।’ इस पहल के बारे में जागरूकता कम है। हालांकि भारत के अस्पतालों में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं लेकिन इस पहल का प्रचार सीमित हुआ है।
एनएचएस में करीब 25 से 30 फीसदी डॉक्टर गैर यूके प्रशिक्षित डॉक्टर हैं। उन्होंने कहा, ‘एनएचएस दीर्घावधि में अपने डॉक्टरों के प्रशिक्षण के लिए भी निवेश कर रही है। मेरे विचार से इस पहल से भारत से ज्यादा डॉक्टर ब्रिटेन आने के लिए प्रोत्साहित नहीं होंगे। इसका कारण यह है कि भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और वित्तीय रूप से अब ब्रिटेन का ज्यादा आकर्षण नहीं रह गया है। एनएचएस की नजर भविष्य में विदेश के डॉक्टरों की संख्या कम करने पर है।’ एनएचएस ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत भारत के प्रमुख शहरों के नामचीन अस्पतालों में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किेए हैं। इस क्रम में दिल्ली, नागपुर, गुरुग्राम, कालीकट, बेंगलूरू, चेन्नई, इंदौर और मैसूर के प्रमुख अस्पतालों में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित हैं।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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