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चीन से बातचीत डिसइंगेजमेंट की नहीं पेट्रोलिंग को लेकर है: जयशंकर

by NewsDesk - 06 May 24 | 138

-पेट्रोलिंग एक पैटर्न है हर फौज देखती है कि दूसरा क्या कर रहा

नई दिल्ली। ईस्टर्न लद्दाख में चीन के साथ चल रहे गतिरोध को लेकर भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ भारत की जो बातचीत जारी है वह पेट्रोलिंग को लेकर है। वह डिसइंगेजमेंट की नहीं है, वह पेट्रोलिंग को लेकर है। कुछ ऐसी जगह हैं जहां चीन हमें पेट्रोलिंग यानी गश्त करने से रोकता है तो हम भी उन्हें रोकते हैं। उन्होंने कहा कि अभी जो पेट्रोलिंग की बात हो रही है, ऐसी जगह पर हो रही है जहां हमने एक दूसरे को ब्लॉक किया हुआ है।

विदेश मंत्री ने कहा कि पेट्रोलिंग का एक पैटर्न होता है। हर फौज देखती है कि दूसरा क्या कर रहा है। अगर वह पेट्रोलिंग पैटर्न के हिसाब से कर रहा है तो ठीक है लेकिन कोई इस पैटर्न को फालो नही करता है तो टेंशन होने लगती है। ये पूछने पर कि जब सरकार कहती है कि हमारी एक इंच जमीन नहीं गई है और कोई आगे नहीं आया है, तो ईस्टर्न लद्दाख में कई पॉइंट्स पर जो डिसइंगेजमेंट हुआ, वह किसलिए? इस पर जयशंकर ने कहा कि जब आप कहते हैं कि वो भी आगे आए, तो हम भी आगे आए। उन्होंने कहा कि 2020 से पहले दोनों फौज अपने बेस या अपने कैंप से ऑपरेट करते थे। 2020 में चीन की ओर से वे अपने बेस से बाहर तो आए लेकिन काफी बड़ी संख्या में आए और कई तरह के हथियार भी उनके पास थे। इसके जवाब में भारत सरकार ने भी अपनी फोर्स बढ़ाई।

विदेश मंत्री ने कहा हम बहुत क्लोज आ चुके थे इसलिए डिसइंगेजमेंट की बात हुई, हम भी अपने बेस पर वापस जाएं, वो भी अपने बेस पर वापस जाएं। ताकि कोई हिंसक घटना ना हो। इसके लिए दोनों के बीच समझौता हुआ। जयशंकर ने कहा कि जिस तरह समझौता हुआ वह कोई नई बात नहीं थी। भारत- चीन बॉर्डर में देखें तो हमारा सबसे पहले जो विवाद था वह 1958 में उत्तराखंड के बाराहोती में था। उस वक्त बाराहोती में समझौता हुआ कि वे भी अपने बेस मे चलें जाएं और हम भी अपने बेस में चले जाएं और वहां गश्त को रोका जाए। उसके बाद कुछ न कुछ होता रहा। राजीव गांधी के समय में सुमदोरॉग चू में भी यही हुआ कि वे आगे आए, हम भी आगे गए। फिर समाधान यह निकला कि वह भी अपने बेस में जाएं हम भी जाएं। जहां तनाव की उम्मीद ज्यादा थी वहां कहा कि पेट्रोलिंग नहीं करेंगे।

ईस्टर्न लद्दाख में जब तनाव शुरू हुआ तो चीनी सैनिक चार जगहों पर आगे आ गए थे जिसके बाद भारतीय सेना ने भी अपनी तैनाती बढ़ाई और बातचीत के बाद पैंगोंग एरिया यानी फिंगर एरिया और गलवान में पीपी- 14, गोगरा में पीपी-17 और हॉट स्प्रिंग एरिया में डिसइंगेजमेंट हुआ। जिन जगहों पर डिसइंगेजमेंट हुआ वहां पेट्रोलिंग नहीं की जाती हैं। यानी जब तक दोनों देश मिलकर कोई हल नहीं निकालते तब तक कोई वहां पेट्रोलिंग नहीं होगी। गतिरोध खत्म करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई और यह आगे भी जारी रखने के लिए दोनों देश राजी हैं।

देपासांग प्लेन्स में चीन ने भारतीय सेना की पेट्रोलिंग ब्लॉक की हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पहले वाई-जंक्शन जिसे बॉटल नेक एरिया कहते हैं उससे आगे तक भारतीय सैनिक पेट्रोलिंग के लिए जाते थे। देपसांग पर खतरे का मतबल दरबुक-श्योक-दौलतबेग ओल्डी रोड पर खतरा है। यह रोड लेह को काराकोरम को जोड़ती है। डेमचॉक में भी चारदिंग ला एरिया में अलग अलग दावे हैं, चीन ने चारदिंग नाले के पास अपने टेंट लगाए हैं।

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