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- Sunday, Dec 22, 2024
by NewsDesk - 11 Jul 24 | 121
नई दिल्ली। गोभी मंचूरियन, पानी पूरी, कॉटन कैंडी और कबाब जैसी खाने वाली चीजों में फूड कलर पर बैन लगाने के बाद अब चायपत्ती पर भी तलवार लटकती दिख रही है। वजह ये है कि चायपत्ती के प्रोसेस के दौरान उसमें कैमिकलयुक्त रंग और कीटनाशकों का उपयोग करते हुए फूड सेफ्टी अफसरों को मिला है। ये वो तत्व हैं तो कैंसर जैसे घातक रोगों का कारण बनते हैं। दरअसल, पता चला है कि खाने-पीने की चीजें बनाने और बेचने वाले लोग रोडामाइन-बी और कार्मोइसिन जैसे फूड कलर्स का इस्तेमाल करते हैं। ये कलर्स काफी जहरीले-विषैले माने जाते हैं। एफएसएसएआई के सूत्रों का कहना है कि चाय के केस में ये कीटनाशक और उर्वरक हैं। ये चीजें कैंसर का कारण बन सकती हैं। कर्नाटक का स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही उन चाय बागानों पर कार्रवाई करने वाला है, जो चाय उगाते समय अधिक मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। इससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
अभी तक कर्नाटक हेल्थ मिनिस्ट्री ने उत्तर कर्नाटक के अलग-अलग जिलों से 48 सैंपल्स जमा किए हैं, जहां चाय का कंजप्शन बहुत अधिक है। बागलकोट, बीदर, गादग, धारवाड़, हुबली, विजयनगर, कोप्पल और बल्लारी जैसे जिलों में फूड इंस्पेक्टर्स ने पाया है कि चाय में बड़ी मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह सेहत के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। कर्नाटक के हेल्थ मिनिस्टर दिनेश गुंडू राव ने कहा, ‘हम घटिया क्वालिटी वाली चाय बनाने वालों यानी चाय निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं। हमारा मकसद लोगों को खराब क्वालिटी या बहुत अधिक प्रोसेस्ड खाना न खाने के लिए जागरूक करना और उन्हें हेल्दी खाने के लिए प्रोत्साहित करना है। हम हर चीज को ध्यान से देख रहे हैं और लोगों को मिलावट के बारे में अवेयर रहे हैं। हम कबाब या गोभी मंचूरियन पर बैन नहीं लगा रहे हैं, बल्कि इनमें यूज होने वाले हानिकारक पदार्थों पर बैन लगा रहे हैं। ऐसा ही चाय पत्ती पर भी लागू होता है।’
इससे पहले कर्नाटक सरकार ने गोभी मंचूरियन, पानी पूरी और कबाब जैसे सड़कों पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों में आर्टिफिशियल रंगों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यह पाया गया था कि उनमें रोडामाइन-बी और कार्मोइसिन जैसे फूड कलर्स का इस्तेमाल किया जा रहा था। इन कलर्स को कई अध्ययनों में जहरीली पाया गया है। जब इनका परीक्षण किया गया, तो देश के स्वास्थ्य मंत्रालयों में खतरे की घंटी बज गई। प्रयोगशाला परीक्षणों से पता चला कि कैंसर पैदा करने वाले रोडामाइन-बी और टार्ट्राजिन का इस्तेमाल खाने को आकर्षक बनाने के लिए किया जा रहा था, मगर ये बेहद जानलेवा थे।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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