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- Sunday, Dec 22, 2024
by NewsDesk - 13 Aug 24 | 115
-सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, प्रचार नीतियों को सुधारने के दिए निर्देश
नई दिल्ली। पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित विवाद में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि का केस बंद कर दिया है। यह फैसला जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनाया। इस मामले की शुरुआत तब हुई थी जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पतंजलि पर कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाया था।
आईएमए का कहना था कि पतंजलि के विज्ञापनों में कोरोनिल और स्वसारी जैसे उत्पादों के कोविड-19 के इलाज के दावे को गलत बताया था और एलोपैथी दवाओं की उपेक्षा की थी। कोर्ट ने पहले पतंजलि को चेतावनी दी थी कि उनके भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद किए जाएं। आईएमए की याचिका में आरोप लगाया गया था कि पतंजलि के विज्ञापन ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 का उल्लंघन कर रहे हैं। पतंजलि ने दावा किया था कि उनके उत्पाद कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है।
इसके बाद आयुष मंत्रालय ने पतंजलि कंपनी को फटकार लगाई और विज्ञापनों पर तुरंत बंद करने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि रोक लगाने के बावजूद विज्ञापन जारी किए जा रहे थे। अदालत ने बाबा रामदेव को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के निर्देश भी दिए थे। रामदेव ने कोर्ट से माफी मांगी और स्वीकार किया कि उन्होंने गलती की। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसे भ्रामक विज्ञापन नहीं चलाए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने पर भी नाराजगी जताई थी, लेकिन रामदेव के वकील ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि भविष्य में ऐसी गलतियां नहीं होंगी और उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी। इस फैसले के बाद पतंजलि के खिलाफ मानहानि का मामला बंद कर दिया गया है और कंपनी को अपने विज्ञापन और प्रचार नीतियों को सुधारने के निर्देश दिए गए हैं। यह फैसला पतंजलि और उसके नेताओं के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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