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- Monday, Dec 23, 2024
by NewsDesk - 22 Apr 24 | 170
-जानें, गर्मी में खुद को ठंडा कैसे रखता है शरीर
लंदन । क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान ज्यादा से ज्यादा कितना तापमान बर्दाश्त कर सकता है। वहीं, शरीर खुद को भीषण गर्मी के खिलाफ ठंडा रखने के लिए क्या करता है? ज्यादातर लोगों ने अनुभव किया होगा कि ज्यादा तापमान हमारे शरीर और स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक होता है। कुछ लोगों के लिए तो ज्यादा तापमान घातक भी साबित हो जाता है। जो लोग भीषण गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते, उनकी मौत भी हो जाती है।
हालांकि, ज्यादातर लोगों का शरीर भीषण गर्मी और हाड़कंपाती सर्दी दोनों को झेल जाता है। गर्मियों में देश के कई हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस या इससे भी ऊपर निकल जाता है। ऐसे में आपके दिमाग में भी ये सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर इतनी गर्मी में इंसान जिंदा कैसे रह पाता है? किस तापमान पर इंसान के लिए संकट की स्थिति पैदा हो सकती है? वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानी शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट होता है। ये आपके आसपास के वातावरण यानी बाहरी तापमान के 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है। विज्ञान के मुताबिक, इंसान ज्यादा से ज्यादा तापमान 42.3 डिग्री सेल्सियस में आसानी से रह लेता है। विज्ञान के मुताबिक, इंसान गर्म रक्त वाला स्तनधारी जीव है। इंसान एक खास तंत्र ‘होमियोस्टैसिस’ से संरक्षित रहता है। इस प्रक्रिया के जरिये इंसानी दिमाग हाइपोथैलेमस से शरीर के तापमान को जिंदा रहने की सीमा में बनाए रखने के लिए ऑटो-कंट्रोल्ड होता है। एक रिपोर्ट कहती है कि ब्रिटेन में 2050 तक गर्मी से होने वाली मौतों में 257 फीसदी की वृद्धि दर्ज की जाएगी।
दरअसल, विज्ञान कहता है कि इंसानी शरीर 35 से 37 डिग्री तक का तापमान बिना किसी परेशानी के सह लेता है। जब तापमान 40 डिग्री से ज्यादा होने लगता है, तो लोगों को परेशानी होने लगती है। अध्ययनों के मुताबिक, इंसानों के लिए 50 डिग्री का अधिकतम तापमान बर्दाश्त करना मुश्किल होता है। इससे ज्यादा तापमान जिंदगी का जोखिम पैदा कर देता है। मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2000-04 और 2017-21 के बीच 8 साल के दौरान भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप रहा। इस दौरान भारत में गर्मी से मौतों में 55 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी। हाइपोथैलेमस को इंसानों की रक्त वाहिकाओं में फैलाव, शरीर से पसीना निकलने, मुंह से सांस लेने, ताजी हवा के लिए खुली जगहों पर जाने से ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा से हाइपोथैलेमस इंसानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करता रहता है। इसीलिए इंसान तापमान के ज्यादा होने पर भी उसे बर्दाश्त कर जिंदा रह लेता है। हालांकि, जिन जगहों पर मौसम एकसमान नहीं रहता, उन जगहों पर 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा इंसानों के लिए तापमान खतरनाक माना जाता है।
हालांकि, अभी तक इसका कोई ठोस जवाब अब तक नहीं मिला है कि इंसान अधिकतम कितने तापमान में जिंदा रह सकता है? हमारी धरती पर अलग-अलग तरह के वातावरण हैं और अलग-अलग क्षमताओं वाले शरीर भी। फिर भी ज्यादा तापमान में एहतियात बरतना बेहतर रहता है। इंसानी शरीर पर बढ़ते तापमान के असर के बारे में बात करते हुए डॉक्टर और शोधकर्ता अक्सर ‘हीट स्ट्रेस’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं। जब हमारा शरीर बेहद गर्मी में होता है तो वो अपने कोर तापमान को बनाए रखने की कोशिश करता है। वातावरण और शारीरिक स्थितियों पर निर्भर करता है कि शरीर अपने कोर तापमान को बनाए रखने की कोशिश किस हद तक कर पाता है। इसमें हमें थकान महसूस होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पारा 45 डिग्री हो तो बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी शिकायतों के चलते ब्लड प्रेशर कम होना आम शिकायतें हैं। वहीं, अगर आप 48 से 50 डिग्री या उससे ज्यादा तापमान में बहुत देर रह जाते हैं तो मांसपेशियां पूरी तरह जवाब दे सकती हैं और मौत भी हो सकती है।
क्लिनिकल शोधों के मुताबिक, बाहरी तापमान बढ़ने पर शरीर खास तरीके से प्रतिक्रिया करता है। दरअसल, शरीर का 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सा पानी से बना है। दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे शरीर में मौजूद पानी बाहर के बढ़ते तापमान में शरीर का कोर तापमान स्थिर बनाए रखने के लिए गर्मी से लड़ता है। इस प्रक्रिया में हमें पसीना आता है। इससे शरीर ठंडज्ञ रहता है। लेकिन, अगर शरीर ज्यादा देर तक इस प्रक्रिया से गुजरता है तो पानी की कमी होने लगती है। पानी की कमी होने पर किसी को चक्कर आने लगते हैं तो किसी को सिरदर्द होता है। कुछ लोग बेहोश भी हो सकते हैं।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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