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महिलाओं को कैसे मिलेगा न्याय, आयोग में अध्यक्ष और सदस्य तक नहीं : जीतू पटवारी

by NewsDesk - 22 May 24 | 49

भोपाल। मप्र राज्य महिला आयोग में 24 हजार शिकायतें पेंडिंग हैं। महिला आयोग में ना तो अध्यक्ष हैं और ना ही सदस्य, हालात ये हैं कि शिकायतों का आयोग में अंबार लग गया है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखकर महिलाओं को न्याय मिलने में हो रही देरी के लिए सीएम को ही जिम्मेदार ठहराया है।

 

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने अपने पत्र में लिखा- मुख्यमंत्री जी, माना जा सकता है कि मध्यप्रदेश को देश का क्राइम कैपिटल बनाने पर शोक की अभिव्यक्ति करना हम सब नागरिकों का कर्तव्य है, परंतु आपके द्वारा लगातार की जा रही लापरवाही एवं महिला अपराधों पर आंखें मूंद लेने की प्रवृत्ति गृहमंत्री के तौर पर आपको इस पद के लिए अयोग्य बनाती है।

 

आयोग में 24 हजार मामले पेंडिंग

 

आज हालत यह है कि महिला आयोग में न अध्यक्ष हैं और न ही सदस्य। और तो और महिलाओं को न्याय देने से जुड़े हुए 24000 मामले भी पेंडिंग हैं। यह आपकी और भाजपा सरकार की अकर्मण्यता का सबसे बड़ा प्रमाण और परिणाम है। चाहे वो आगर मालवा की बलात्कार पीडि़ता हो, चाहे इंदौर की साइबर क्राइम पीडि़त युवती, किसी को यदि पुलिस न्याय नहीं दिला पा रही है, तभी तो उन्होंने महिला आयोग का रुख किया! लेकिन, अब वहां भी सुनने वाला कोई नहीं है! क्या यही आपकी महिला न्याय नीति है?

 

शिकायत पर 15 दिन में करनी होती है कार्रवाई

 

पटवारी ने अपने लेटर में लिखाञ आयोग के नियमानुसार किसी भी शिकायत पर 15 दिन के अंदर कार्रवाई करनी होती है, परंतु आपकी सरकार नियम और कानून से परे है! सरकार की व्यक्तिगत रुचि सिर्फ विपक्षी नेताओं पर एफआईआर कर पॉक्सो एक्ट लगाने में है।

 

रोज 9-10 महिलाओं की शिकायतें पहुंचती हैं आयोग

 

पटवारी ने अपने पत्र में आगे लिखा- आंकड़ों के अनुसार 3500 महिलाएं प्रतिवर्ष महिला आयोग में शिकायत दर्ज करवाने पहुंचती हैं। अर्थात 9 से 10 महिलाएं प्रतिदिन, हर दिन इन 9 से 10 महिलाओं को न्याय ना मिलने के जिम्मेदार केवल आप हैं। 2023-24 में महिला प्रताडऩा के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, परंतु आप मुंबई-दिल्ली एवं पूरा भारत भ्रमण कर, 300 करोड़ का जहाज खरीदने की योजना बनाने में व्यस्त रहे। हैरानी की बात है कि भाजपा की ही मंडल अध्यक्ष नारायणी बरेठा को जातिसूचक गाली देने तथा अभद्रता के मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि वे दलित समाज से हैं। यही कारण है कि उन्होंने वीडियो जारी कर आत्महत्या करने की बात कही।

 

30 दिन में एक्शन प्लान बनाएं सीएम

 

पटवारी ने आगे लिखा- समझा जा सकता है कि जब आप अपनी पार्टी की महिलाओं को ही न्याय नहीं दिला पा रहे हैं, तो पूरे प्रदेश की महिलाओं के साथ कैसे न्याय कर पाएंगे? आपसे अनुरोध है कि मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री पद को मजाक बनाना बंद कीजिए। गंभीरता से यह विचार भी कीजिए कि महिलाओं के लिए प्रदेश में ऐसी कौन-सी नीतियां बनाई जाएं, जिससे उत्पीडऩ के मामले कम हो सकें। अगले 30 दिन में एक एक्शन प्लान बनाइए और प्रदेश की महिलाओं को यह बताइए कि वे अगले 4.5 साल किस तरीके से सुरक्षित महसूस कर सकें

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