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सरकारी कर्ज से डूबा लेबनान: ब्रेड के लिए भी लगी कतार, एक घंटा बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं ठप

by NewsDesk - 12 Sep 21 | 874

पश्चिम एशियाई देश लेबनान में इस वक्त भीषण संकट है। पानी 8 तो खाना 6 गुना महंगा हो गया है। खाने के सामान से लेकर डीजल-पेट्रोल, गैस और रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले सामान के लिए लोगों को 4 से 6 घंटे तक कतार में लगना पड़ रहा है। एक साल पहले तक जो ब्रेड 1000 लेबनान पाउंड (करीब 48 रुपए) में मिलती थी। अब वह 6000 लेबनान पाउंड (करीब 288 रुपए) में मिल रही है।

सरकारी सप्लाई वाली बिजली 24 घंटे में एक घंटे ही आ रही है। दफ्तरों का कामकाज एक तिहाई ही हो पा रहा है। कोरोना के बीच स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ा गई हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। यह स्थिति एक-दो दिन नहीं बल्कि कई महीनों से चली आ रही है। इन सबके बीच गुरुवार को लेबनान में नजीब मिकाती नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। वह देश के सबसे अमीर इंसान हैं। वे इस पद पर दो बार रह चुके हैं। उनके साथ कैबिनेट के कुछ सदस्यों का ऐलान भी किया गया है। बता दें कि बीते साल 4 अगस्त को बेरुत में हुए एक बड़े विस्फोट के बाद लेबनान से एक कामकाजी सरकार चली गई। इस विस्फोट में 200 से अधिक लोग मारे गए थे। इसके बाद देश में राजनीतिक खींचतान के चलते कोई भी दल सरकार नहीं बना सका था। मजबूरन संसद ने 3 प्रधानमंत्रियों को तय किया, जिनके भरोसे देश चल रहा था।

जनवरी में 1000 लेबनान पाउंड में मिलने वाला एक लीटर डीजल-पेट्रोल अब 6500 लेबनान पाउंड प्रति लीटर हो गया है। देश की 78% आबादी गरीबी का सामना कर रही है। इस संकट से अराजक हालात बनने की शुरुआत हो सकती है। लोग जीवित रहने के लिए छीना-झपटी और हाथापाई पर उतर सकते हैं। विश्व बैंक ने भविष्यवाणी की है कि लेबनान इस समय दुनिया में बीते 150 सालों में सबसे खराब स्थिति में है। लेबनान में पिछले दो साल से आर्थिक संकट के चलते हालात और बिगड़ गए हैं। इतना ही नहीं देश के अलग-अलग इलाकों में हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। दंगे भी हो रहे हैं। ये लोग स्थानीय सरकार से अपने लिए सुरक्षित जीवन और खाने की मांग कर रहे हैं। वहां के हालात इतने बदतर हो गए हैं कि उत्तरी शहर त्रिपोली और अन्य जगहों पर सेना को तैनात करना पड़ा है।



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