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करीब 2 साल बाद बना ग्रीन कॉरिडोर, एक डॉक्टर जाते जाते भी दे गई 3 लोगो को ज़िंदगी

by NewsDesk - 18 Sep 21 | 303


रिपोर्ट... सचिन बहरानी
इंदौर शहर ने आज अंगदान को लेकर फिर से नया इतिहास रच दिया है।ऐसा पहला मौका था जब की डॉक्टर की एक्सीडेंट में मौत के बाद उनके अंगों का दान किया गया था इसके लिए जब मृतक के परिजनों ने अंगदान की इच्छा जताई ,तो मुस्कान संस्था के साथ ही जिला प्रशासन ने परिजनों से चर्चा की और उन्हें अंगदान को लेकर सभी प्रक्रिया की जानकारी दी,और देर शाम को अंग निकालकर इंदौर के चोइथराम अस्पताल से ,एक किडनी चोइथराम हॉस्पिटल, दूसरी किडनी सीएचएल हॉस्पिटल और लिवर को भोपाल के बंसल हॉस्पिटल में जरूरतमंद रोगियों के लिए पहुंचाए गए । 
दरअसल इंदौर की सर्जन डॉ.सुनीता पाटिल पिछले दिनों सड़क हादसे में घायल हो गई थी जिस पर उन्हें एडीएनएस हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था इस दौरान उनके ब्रेन डेड की स्थिति को देखते हुए उन्हें चोइथराम हॉस्पिटल में रैफर किया गया था जहां डॉक्टरों की कमेटी ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।परिवार की सहमति के बाद ऑर्गन डोनेशन प्रक्रिया पूरी हुई और कमिश्नर डॉ. पवन कुमार शर्मा से चर्चा कर ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। इसके तहत एक किडनी चोइथराम हॉस्पिटल में भर्ती एक मरीज तथा दूसरी किडनी सीएचएल अस्पताल में भर्ती एक मरीज को कुछ ही देर में ट्रांसप्लांट की गई ।जबकि लिवर को भोपाल के बंसल अस्पताल में इलाज करा रहे एक मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया। इंदौर में 23 महीने के बाद 40 वां ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है।इस दौरान शहर के सांसद शंकर लालवानी ने अंगदान करने वाले परिवार को ढांढ़स बंधाया और उनका धन्यवाद भी दिया। शंकर लालवानी ने कहा की इंदौर शहर ने हमेशा से इतिहास रचा है और आज एक बार फिर से किसी के प्रयास से कई लोगों को नई जिंदगी मिलने जा रही है।
पुलिस और प्रशासन ने इंदौर से भोपाल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जरूरतमंदों तक अंगों को पहुंचाया है।इंदौर में जहाँ बड़ी संख्या में पुलिस बल सड़कों पर तैनात रहा वही इंदौर से भोपाल के रास्ते में पढ़ने वाले सभी टोल नाके और चेक पोस्ट को पहले से ही जानकारी देकर बिना रुको गाडी को निकाला गया इस काम के लिए सभी जिले के एसपी को पहले से ही निर्देश जारी किए गए थे.. इंदौर में 23 महीने बाद बने इस ग्रीन के लिए डीएनएस हॉस्पिटल के हरीश तौरानी,सुनील चांदीवाल, डा रतन सहजपाल और डॉ आनंद सांघी का काफी योगदान रहा ।इंदौर से भोपाल तक करीब 200 किलोमीटर तक बने इस ग्रीन कॉरिडोर के लिए शहर के लोगों ने भी दिल से रास्ता,दिया,जबकि ग्रीन कॉरिडोर के दौरान कुछ समय के लिए शहर थम सा गया,वही डॉ.सुनीता पाटिल अपनी मौत के बाद भी कई लोगों को नया जीवनदान दे गई।

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