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  • Sunday, Dec 22, 2024

Italy बोला- चीन की बीआरआई परियोजना में शामिल होना गलत, जल्द बाहर आएंगे, जानिए क्या है पूरा मामला

by NewsDesk - 02 Aug 23 | 4

वाशिंगटन। इटली ने चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट की पोल खोलकर रख दी है। इससे एक ओर जहां अमेरिका की टक्कर में चीन ने खुद को खड़ा करने की कोशिश की थी, वहीं बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव यानी बीआरआई के जरिए दुनिया के कई देशों में करोड़ों डॉलर के प्रोजेक्ट पर पानी ‎फिर गया है। बता दें ‎कि पाकिस्तान में शुरु हुए बीआरआई के प्रोजेक्ट सीपीईसी के दस साल पूरे हो गए हैं। दोनों मुल्क इसका जश्न भी मना रहे हैं। लेकिन इसी जश्न में इटली ने पलीता लगा दिया है और चीन के बीआरआई की हकीकत सामने ला दी है। गौर करने वाली बात ये है कि इटली यूरोप का एकलौता देश है जो चीन के इस प्रोजेक्ट में शामिल हुआ था। इटली के रक्षा मंत्री गोइदो प्रोस्टो ने एक इंटरव्यू में कहा है कि चीन के इस फैसले में शामिल होना तबाह करने वाला फैसला था। उन्होंने कहा कि ये फैसला जल्दबाजी में ले लिया गया था।


इटली के डिफेंस मिनिस्टर ने ऐसा कहने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि इस फैसले से चीन को तो फायदा मिला और उनका निर्यात हमारे यहां काफई बढ़ गया। लेकिन मुझे एक्सपोर्ट का फायदा नहीं मिल सका। इटली के नेता ने एक इंटरव्यू में कहा कि नए सिल्क रोड में शामिल होने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया। ये तबाह करने वाला कदम था। उनका ये बयान चीन से उलट है। गौरतलब है ‎कि पिछले दिनों चीन ने कहा था कि बीआरआई से दोनों देशों को लाभ हो रहा है। दरअसल, इटली अब चीन के इस प्रोजेक्ट से बाहर होना चाहता है। हालां‎कि पाकिस्तान और चीन ने महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के तहत सहयोग बढ़ाने और काम में तेजी लाने के लिए छह महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के उप प्रधानमंत्री ही लीफंग सीपीईसी के 10 साल पूरे होने पर आयोजित हस्ताक्षर समारोह के दौरान मौजूद थे। 

बता दें ‎कि सीपीईसी परियोजना पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिंजियांग प्रांत को जोड़ती है। यह चीन की अरबों डॉलर की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) की प्रमुख परियोजना है। हालां‎कि भारत सीपीईसी को लेकर चीन के समक्ष पहले ही विरोध जता चुका है क्योंकि यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है। शरीफ ने इस मौके पर कहा कि हस्ताक्षरित दस्तावेजों का उद्देश्य पाकिस्तान और चीन के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करना है। अब तक पाकिस्तान के बिजली और जल विद्युत क्षेत्र, सड़क बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक परिवहन में सीपीईसी के तहत 25 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश हुआ है।

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