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2002 गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बिलकीस बानो ने उम्रकैद पाए 11 दोषियों की रिहाई का विरोध किया

by NewsDesk - 09 Aug 23 | 41

नई दिल्‍ली। 2002 गुजरात दंगों के मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अंतिम सुनवाई हुई। पीड़िता बिलकीस बानो ने उम्रकैद पाए 11 दोषियों की रिहाई का विरोध किया। सुनवाई के दौरान बिलकीस ने कहा कि दोषी किसी राहत या नरमी के हकदार नहीं हैं। उसके साथ जो हुआ वो आम अपराध नहीं था। यह मामला अन्य मामलों से अलग है। इस सदमे से वो अब तक उबर नहीं पाई है।

जस्टिस बीवी नागरत्ना की अगुआई वाली पीठ के सामने बिलकीस बानो की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि पहले उसके साथ जो अपराध हुआ वो, और फिर दोषियों को समय से पहले रिहा भी कर दिया गया। इस केस में उसे दोहरे सदमे से गुजरना पड़ा है। वो अपनी बेटी के साथ खानाबदोशों की तरह रह रही हैं। उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। वो पुरुषों का सामना करने से डरती है, भीड़ में या अजनबियों के आसपास नहीं रह सकती।

बिलकीस बानो की वकील ने कहा कि हमने सोचा था कि यह खत्म हो गया है, लेकिन फिर दोषियों को रिहा कर दिया गया। वे किसी भी तरह की नरमी या छूट के हकदार नहीं हैं। यहां तक कि जांच एजेंसी, सीबीआई ने भी कहा कि हकदार नहीं हैं। सरकार ने रिहाई से पहले ट्रायल जज के विचार भी लिए। ट्रायल जज ने भी उनको नहीं रिहा किए जाने की कई वजह बताई। सीबीआई ने भी यही विचार जताए।

शोभा गुप्ता ने इसके समर्थन में सुप्रीम कोर्ट और अन्य कई कोर्ट्स के फैसलों का भी हवाला दिया। उन्होंने जेल सुपरिटेंडेंट के कैदी से बर्ताव की रिपोर्ट का भी हवाला दिया।

इस पर कोर्ट का कहना था कि जेल अधीक्षक की भूमिका सीमित होती है, क्योंकि उसे कैदी के इतिहास की जानकारी नहीं होती। अदालत ने कहा कि रिहाई 1992 और फिर 2014 की नीति के आधार पर की गई। बिलकीस की ओर से कहा गया कि रेप और हत्या के दोषी को समय पूर्व रिहाई नहीं मिल सकती। ये सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।

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