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  • Monday, Dec 23, 2024

Lok Sabha चुनाव में शिकस्‍त से मायूस 'महाराज' गुना को कहेंगे अलविदा! यह हो सकता है नया ठिकाना

by NewsDesk - 13 Aug 23 | 79

ग्वालियर। चुनावी साल में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अपने गृह नगर ग्वालियर में अचानक से सक्रियता बढ़ गई है, जिसकी वजह से उन्हें लेकर कयासों का दौर शुरु हो गया है। वे अब लगातार ग्वालियर में न केवल दौरे कर रहे हैं, बल्कि तमाम सामाजिक और जातीय संगठनों की बैठकों में भी शामिल हो रहे हैं। इसकी वजह से अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वे अब अपनी पारिवारिक लोकसभा सीट गुना को अलविदा कह कर ग्वालियर सीट से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर रहे हैं। दरअसल पिछला चुनाव सिंधिया गुना में अपने ही एक समर्थक से हार गए थे। वे फिलहाल राज्यसभा सदस्य व केन्द्र में मंत्री हैं। अगर सिंधिया की सक्रियता की चर्चा करें, तो वे बीते एक डेढ़ महीने में एक दर्जन से अधिक समाजों के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा कई अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। 


माना जा रहा है कि इस सक्रियता के माध्यम से सिंधिया एक बार फिर अंचल में अपनी मजबूत सियासी पकड़ को विधानसभा चुनाव में दिखाने के प्रयासों में हैं। कमलनाथ सरकार गिरने के बाद जब विधानसभा की 28 सीटों पर एक साथ उपचुनाव हुए तो उनमें सर्वाधिक सीटें ग्वालियर-चंबल की ही थीं। यहां की सोलह सीटों पर 2020 में उपचुनाव हुए, जिसमें से भाजपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। यह बात अलग है कि इन उपचुनावों में सिंधिया समर्थक तत्कालीन मंत्री इमरती देवी, एंदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार गए थे। इससे सबक लेते हुए ही अब सिंधिया समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी व मुन्नालाल गोयल लगातार अपनी छवि सुधारने के लिए प्रयास कर रहे हैं। अगर बीते तीन लोकसभा चुनावों के परिणामों पर नजर डाली जाए तो भाजपा ग्वालियर सीट पर लगातार जीत रही है। अहम बात यह है कि इस दौरान प्रदेश में भाजपा की सरकार रही है। 

ग्वालियर सीट पर समय-समय पर मतदाता बदलाव लाते रहे हैं। यहां कभी कांग्रेस, कभी जनसंघ, कभी भारतीय लोकदल तो कभी भाजपा को लोगों ने चुना है। फिलहाल यहां से भाजपा के सांसद विवेक शेजवलकर हैं। इनसे पहले केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी ग्वालियर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ग्वालियर सीट पर सिंधिया परिवार का प्रभाव हमेशा से रहा है। यह सीट प्रदेश की ही नहीं, बल्कि देश की महत्वपूर्ण संसदीय सीटों में से एक है। इस सीट से राजमाता विजयराजे सिंधिया, अटल बिहारी वाजपेयी और माधवराव सिंधिया जैसे देश के कई दिग्गज नेता सांसद रह चुके हैं। यहां चार बार भाजपा जीती, दो बार जनसंघ और आठ बार कांग्रेस विजयी हुई। पिछले तीन लोकसभा चुनावों से यहां भाजपा जीतती आ रही है। ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं। ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 14 लाख 87 हजार 654 मतदाता हैं। 

इनमें आठ लाख तीन हजार 559 पुरुष मतदाता और छह लाख 84 हजार 40 महिला मतदाता शामिल हैं। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बीते दो माह में जिन समाजों के कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं, उनमें प्रमुख रूप से कोली-कोरी समाज, वाल्मीकि समाज, ब्राह्मण समाज, कायस्थ, जैन, पंजाबी, गुर्जर और खटीक समाज के सम्मेलन शामिल हैं। यही नहीं अब वे पूरी तरह से भाजपा की तरह से समाज के सभी वर्गों से सीधे संवाद और संपर्क कर रहे हैं। यही वजह है कि जब उन्हें लोगों ने समाज के सबसे निचले तबके यानी अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के लिए अपने हाथ से खाना परोसते और उनके साथ बैठकर उनकी थाली में भोजन करते देखा तो सभी चौंक गए थे। कांग्रेस में रहते उनके प्रभाव वाले ग्वालियर चंबल क्षेत्र में कांग्रेस को 34 विधानसभा सीटों में से 26 पर बड़ी जीत मिली थी। अब इस साल भी विधानसभा चुनाव में वे भाजपा के लिए भी इसी तरह की जीत चाहते हैं।

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