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  • Monday, Dec 23, 2024

Justin Trudeau के ‎पिता सीनियर ट्रूडो की गलती से 331 लोगों को गंवानी पड़ी थी जान

by NewsDesk - 20 Sep 23 | 50

इं‎दिरा गांधी के समय आतंकी तल‎विंदर ‎सिंह ने एयर इं‎डिया के ‎विमान पर की थी बमबारी 

ओटावा। खालिस्तान मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच जमकर तनातनी चल रही है। जानकार बताते हैं ‎कि यह ‎स्थिति आज की नहीं है, ब‎ल्कि इं‎दिरा गांधी के समय से चली आ रही, जब तत्कलीन पीएम स्व. इं‎दिरा गांधी की बात ज‎स्टिंन के ‎पिता सी‎नियर डूडो ने नहीं मानी और बदले में 331 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। कनाडा में तेजी से फल-फूल रहे खालिस्तानी आतंकी भारत के लिए लंबे समय से चुनौती बने हुए हैं। इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की संसद में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में संभावित तौर पर भारत का हाथ होने का शक जताया है, जिसकी जांच जारी है। हालांकि इस बयान के बाद भारत ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इन आरोपों को बेतुका बताया है। जस्टिन ट्रूडो कई विदेशी मामलों में बिल्कुल अपने पिता की राह पर चल रहे हैं। यही वजह है ‎कि जस्टिन के पिता की एक गलती से 331 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो, कनाडा में 1968-1979 और 1980-1984 तक सत्ता में रहे। इस दौरान भारत में इंदिरा गांधी की सरकार थी। तब इंदिरा गांधी ने पियरे ट्रूडो से खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर सिंह परमार को भारत में प्रत्यर्पित करने की मांग की थी। बता दें ‎कि तब तलविंदर सिंह को कनाडा ने शरण दी थी। पियरे ट्रूडो ने तलविंदर सिंह को इस विशेष दलील पर भारत में प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया कि भारत, राष्ट्रमंडल का सदस्य होने के बावजूद, ब्रिटेन की रानी की संप्रभुता को मान्यता नहीं देता। इसके बाद तलविंदर सिंह परमार ने बड़ी साजिश रची और आयरलैंड के पास एयर इंडिया के विमान पर भीषण बमबारी की, जिसमें 331 यात्री मारे गए थे।

तलविंदर सिंह बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) का संस्थापक, नेता था। जिसे बब्बर खालसा के नाम से जाना जाता है, जो खालिस्तान आंदोलन में शामिल एक सिख आतंकवादी समूह है। 1981 में, परमार पर पंजाब पुलिस के 2 अधिकारियों की हत्या का आरोप लगाया गया और 1983 में जर्मनी में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। 1984 में उसे रिहा कर दिया गया। जिसके बाद वह तुरंत कनाडा लौट आया। तब कनाडा में खालिस्तानियों ने उसकी प्रशंसा की जबकि अधिकारी चुपचाप खड़े रहे। बाद में उसे 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोट, कनाडा के सबसे खराब सामूहिक हत्या के मामले में मास्टरमाइंड के रूप में नामित किया गया था।

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