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सीजफायर के बीच इजरायल में सत्ता परिवर्तन के संकेत, Netanyahu की बढ़ी मुसीबत

by NewsDesk - 28 Nov 23 | 22

तेल अवीव। सीजफायर के बीच इजरायल में सत्ता प‎रिवर्तन के संकेत ‎मिल रहे हैं। इससे नेतन्याहू की मुसीबत बढ़ गई है। गौरतलब है ‎कि 7 अक्टूबर को इजरायल में हमास की घुसपैठ को रोकने में हुई विफलता पर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को काफी अलोचना का सामना करना पड़ रहा है। खूनी संघर्ष के बीच नेतन्याहू ने एक तो हमास के खिलाफ और दूसरा अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए सुर्खियों से खुद को बचाए रखा। 74 वर्षीय नेतन्याहू की छवि लंबे समय से एक सुरक्षाकर्मी, ईरान के प्रति सख्त और एक ऐसी सेना द्वारा समर्थित होने की रही है, जिसने यह सुनिश्चित किया कि यहूदियों को फिर कभी नरसंहार का सामना नहीं करना पड़ेगा। बताया जा रहा है ‎कि उनके कार्यकाल के दौरान 7 अक्टूबर की हिंसा सबसे घातक घटना साबित हुई है।

खबर ‎मिली है ‎कि इस बीच इजराइलियों ने नेतन्याहू के कुछ साथी कैबिनेट मंत्रियों से किनारा कर लिया है। उन पर फलिस्तीनी हमास बंदूकधारियों को गाजा से प्रवेश करने से रोकने में विफल रहने, 1,200 लोगों की हत्या करने, 240 से अधिक लोगों का अपहरण करने और देश को युद्ध में झोंकने का आरोप लगाया गया है। अलग-अलग घटनाओं में, नेतन्याहू के कम से कम तीन मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि नेतन्याहू को ऐसे युद्ध से फायदा होने वाला है, जो उनके 3-1/2 साल पुराने भ्रष्टाचार के मुकदमे में और देरी लाएगा।

हालां‎कि 4 दिन के सीजफायर द्वारा बंधकों की वापसी के माध्यम से वह अपनी प्रतिष्ठा बचाने की भी उम्मीद कर सकते हैं। ‎‎पिछले कुछ हफ्तों में किए गए सर्वेक्षणों से पता चला है कि इजरायली युद्ध प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए सुरक्षा प्रतिष्ठान पर भरोसा करते हैं, लेकिन नेतन्याहू पर नहीं करते हैं। 7 अक्टूबर की विफलता उनकी विरासत है। इसके बाद इजरायल को जो भी सफलता मिलेगी उसका श्रेय उन्हें नहीं दिया जाएगा। गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि युद्ध में लगभग 14,800 फलिस्तीनी मारे गए हैं और सैकड़ों हजार लोग विस्थापित हुए हैं।

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