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  • Tuesday, Dec 24, 2024

लो.. फिर आ गई! आतंक को लेकर America की डराने वाली रिपोर्ट

by NewsDesk - 09 Dec 23 | 9

आतंकवाद की जड़ें अफगानिस्तान में हुईं मजबूत



काबुल। इस वक्त अफगानिस्तान में तालिबान का शासन है। यहां उसी की हुकूमत चल रही है। इसी बीच अमेरिका से आई एक रिपोर्ट ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। इसमें कहा गया है कि आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है। और इसकी जड़ें अफगानिस्तान में मजबूत हुई हैं। जिससे उसके पड़ोसी देशों में लगातार आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर अफगानिस्तान सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। आतंकवाद पर 2022 की अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट ने अफगानिस्तान और आतंकवाद को लेकर यह खुलासा किया है। आतंकवाद पर साल 2022 की अपनी रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश विभाग ने अफगानिस्तान में चल रहे हालातों पर गंभीर और चिंताजनक टिप्पणी की है।रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के नियंत्रण में अफगानिस्तान में कई आतंकवादी संगठन लगातार फल-फूल रहे हैं। इनमें इस्लामिक स्टेट खुरासन प्रोविंस और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के अलावा अलकायदा भी शामिल है। रिपोर्ट के बाद यह माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन को लेकर आने वाले दिनों में अमेरिका कुछ कड़े फैसले कर सकता है।


रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा मारे गए अलकायदा के लीडर अयमान अल जवाहरी का वहां पाया जाना यह साबित करता है कि तालिबान के संरक्षण में अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों का बढ़ना लगातार जारी है। आपको बता दें कि अलकायदा के इस बड़े नेता को 30 जुलाई 2022 को अमेरिका सेना ने एक एयर स्ट्राइक में मार गिराया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्तान में जो आतंकवादी संगठन बढ़ रहे हैं, उनसे अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों पर आतंक का खतरा लगातार मंडरा रहा है। साल 2022 में अफगानिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठनों ने ईरान, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और पाकिस्तान में कई हमले किए। यहां तक की इस्लामिक स्टेट खुरासन ने तो अफगानिस्तान में स्थानीय लोगों पर हमले किए।


इस संगठन ने रूसी दूतावास और पाकिस्तानी दूतावास पर भी हमले किए। अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान को अफगानिस्तान का शासन देते समय दोहा समझौते की तहत, जो शर्तें रखी गई थीं वह पूरी नहीं की जा रही हैं। जबकि उन शर्तों में तालिबान ने पड़ोसी देशों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगान धरती का उपयोग रोकने के लिए प्रतिबद्धता जताई थी। लेकिन वर्तमान हालातों में वह प्रतिबद्धता कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है। अमेरिकी संस्थान की रिपोर्ट अपने आप में इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। क्योंकि इस रिपोर्ट से अफगानिस्तान की एक ऐसी तस्वीर पेश हो रही है, जहां से आतंकवाद पड़ोसी देशों में फैलता है और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता नजर आता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि पिछले दिनों अफगानिस्तान और चीन के बीच लगातार दूरियां कम हुई हैं और अफगानिस्तान ने चीन में अपना राजदूत भी नियुक्त कर दिया है, जिसे चीन ने मान्यता भी दे दी है।

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