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नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के पास होगा पॉवर, ‘शैडो पीएम’ की तरह करेंगे काम

by NewsDesk - 30 Jun 24 | 156

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता चुने गए हैं, जिस कानून के तहत राहुल गांधी को यह पद मिला, वह आपातकाल के ठीक बाद बना था। पिछले दस सालों से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था। 2014 और 2019 में किसी भी विपक्षी दल के पास नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए संख्या ही नहीं थी।

भारत के संविधान में नेता विपक्ष जैसे किसी पद की कोई अवधारणा नहीं है, ना ही कोई जिक्र है। साल 1977 में जब इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल हटाया और मोरारजी देसाई की अगुवाई में पहली गैरकांग्रेसी सरकार बनी तो नेता विपक्ष पद के लिए कानून बनाया गया। मोरारजी देसाई की सरकार ‘द सैलरी एंड एलाउंसेज ऑफ लीडर्स ऑफ़ अपोजिशन इन पार्लियामेंट एक्ट, 1977 लेकर आई। इस कानून में पहली बार नेता प्रतिपक्ष की आधिकारिक परिभाषा शामिल की गई। इस कानून में कहा गया कि सदन में सरकार के विपक्षी दल का नेता उसे माना जाएगा, जिसकी पार्टी के पास सबसे ज्यादा संख्या बल होगा अथवा लोकसभा स्पीकर या राज्यसभा के सभापति दर्जा देंगे। कानून में यह भी कहा गया है कि जब दो पार्टियों के पास समान संख्या बल होगा, तो ऐसे में लोकसभा स्पीकर तय करेंगे कि किस पार्टी को नेता प्रतिपक्ष बनेगा।

नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी को कुल सीटों का 10फीसदी प्राप्त करना जरुरी है। यानी 543 में से 55 सीटें जीतनी जरूरी हैं, तभी इस पद पर दावा कर सकते हैं। इस बार कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं, इसलिए नेता विपक्ष का पद उसके खाते में आया है। 2019 में कांग्रेस को 52 सीटें मिली थीं, तो 2014 में 44 सीटों पर सिमट गई थी।

साल 1977 में जो कानून बना उसमें नेता प्रतिपक्ष के वेतन और दूसरी सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। कानून में कहा गया है कि नेता विपक्ष को कैबिनेट मंत्री के बराबर सैलरी, भत्ते और सुविधाएं मिलेंगी। कानून के मुताबिक राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री जैसा भारी भरकम बंगला मिलेगा साथ ही सचिवालय में एक दफ्तर भी मिलेगा। इसके अलावा 330,000 लाख महीना वेतन और भत्ता भी मिलेगा। राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री जैसी सिक्योरिटी मिलेगी, मुफ्त हवाई यात्रा से लेकर ट्रेन यात्रा, सरकारी गाड़ी और दूसरी सुविधाएं भी दी जाती हैं।

राहुल गांधी को सदन में सिर्फ विपक्ष के नुमाइंदे नहीं होंगे, बल्कि एक तरीके से ‘शैडो प्रधानमंत्री’ की तरह काम करेंगे। राहुल गांधी, पीएम मोदी के साथ उस पैनल का हिस्सा होंगे जो ईडी, सीबीआई, सेंट्रल विजिलेंस, सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर, एनएचआरसी चीफ को सेलेक्ट करती है। राहुल चीफ इलेक्शन कमिश्नर को चुनने वाले पैनल का भी हिस्सा होंगे। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल सरकार के खर्चों की जांच करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष होंगे और सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा भी करेंगे।

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