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  • Monday, Dec 23, 2024

मप्र, छग, राजस्थान में मानसून ने पकड़ा जोर , जबलपुर-उमरिया में बारिश हुई, भोपाल समेत

by NewsDesk - 05 Jul 24 | 146

14 जिलों में अलर्ट, इंदौर-उज्जैन में आंधी चलेगी मप्र में टूटेगा बिजली का कहर 

भोपाल । मप्र, छग, राजस्थान में मानसून ने पूरी तरह जोड़ पकड़ लिया है। साइक्लोनिक सर्कुलेशन और ट्रफ लाइन की वजह से बारिश का स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव है। इस वजह से पूरा प्रदेश भीग रहा है। मप्र में गुरुवार को जबलपुर, उमरिया, भिंड और सागर में बारिश हुई। उमरिया में सुबह से ही तेज पानी गिर रहा है। भोपाल, शिवपुरी सहित 14 जिलों में तेज बारिश का अलर्ट है। वहीं, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन-जबलपुर समेत प्रदेश के अन्य जिलों में आंधी, गरज-चमक और हल्की बारिश का दौर जारी रहेगा। वहीं रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और बस्तर संभाग के जिलों में जमकर बारिश हो रही है। उधर, बीकानेर, भरतपुर, भिवाड़ी में भारी बारिश के कारण घर-सडक़ें डूब गई हैं। उधर, मौसम विभाग ने तीनों प्रदेशों में बिजली गिरने की चेतावनी दी है। मौसम विभाग के अनुसार इस बार मप्र में आकाशीय बिजली मौत का तांडव मचाएगी। आंकड़े बताते हैं कि आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं देश के बाकी राज्यों की तुलना में मप्र में सबसे ज्यादा हुई है। प्रदेश में हर दिन औसतन 2500 से ज्यादा बार बिजली गिरती है यानी हर 1 घंटे में 107 बार आसमान से जानलेवा आफत बरसती है। वहीं बिजली गिरने से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी देश में होने वाली कुल मौतों का 20 फीसदी है। भारत में आकाशीय बिजली की वजह से हर साल होने वाली मौत के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में आकाशीय बिजली गिरने से हर साल करीब 2500 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। देश में आकाशीय बिजली गिरने की करीब 96 प्रतिशत घटनाएं ग्रामीण इलाकों में होती हैं।

पिछले 5 साल में 62 प्रतिशत बढ़ा बिजली गिरने आंकड़ा

पिछले 5 वर्षों में यानी 2019 से लेकर 2024 तक आकाश से जमीन पर बिजली गिरने आंकड़ा 62 फीसदी बढ़ा है। वर्ष 2019 में 5,91,838 बार बिजली गिरी वहीं 2022 में ये आंकड़ा 9,41,663 तक पहुंच गया। 2021 से 2022 के बीच इसमें सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है। 2023-24 में अब तक 6 लाख से ज्यादा बार लाइटनिंग स्ट्राइक हुई है ।

 

आकाशीय बिजली से मौत में मप्र अव्वल

 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की दिसंबर 2023 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत में प्राकृतिक कारणों से होने वाली आकस्मिक मौतों में 35.8 प्रतिशत घटनाएं आकाशीय बिजली की वजह से हुईं। मप्र इसमें अव्वल है। मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि पिछले 5 से 6 सालों का आंकड़ा देखें तो वज्रपात की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रमुख वजह ये है कि थंडर स्टॉर्म के दिन बढ़ रहे हैं। थंडर स्टॉर्म का लाइफ साइकिल 2 घंटे से बढक़र 4 से 5 घंटे तक हो गया है। मौसम वैज्ञानिक ग्लोबल और स्थानीय स्तर पर इसके तीन प्रमुख कारण गिनाते हैं। पहला अटलांटिक महासागर में गर्मी बढऩे से पश्चिमी विक्षोभ की संख्या बढ़ गई है। पहले औसत 4 से 5 पश्चिमी विक्षोभ होते थे, उनकी संख्या बढक़र 9 से ज्यादा हो गई है। दूसरा हिंद महासागर में भी गर्मी बढऩे के कारण ज्यादा नमी बन रही है और तीसरा बंगाल की खाड़ी में प्रतिचक्रवात बढऩा भी इसकी बड़ी वजह है।

 

80 प्रतिशत मौतें किसानों की

 

जलवायु रेजिलिएंट अवलोकन प्रणाली संवर्धन परिषद के आंकड़ों के अनुसार साल 2023 में एमपी में 9 लाख 41 हजार बार बिजली गिरी है। इसमें करीब 496 लोगों की मौत हुई। आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों मे सबसे बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्रों मे रहने वाले लोगों की होती हैं। इसमें भी 80 प्रतिशत मौतें किसानों की हुई है, क्योंकि सबसे ज्यादा 75 प्रतिशत बिजली ग्रामीण क्षेत्रों में ही गिरती है वहीं शहरी इलाकों मे ये आंकड़ा 25 प्रतिशत है। मरने वालों मे सबसे ज्यादा 79 प्रतिशत पुरुष वहीं 21 फीसदी महिलाएं होती हैं। इसके अलावा उम्र के लिहाज से देखा जाए तो कुल मौतों मे 62 प्रतिशत वयस्क ओर 38 फीसदी बच्चे होते हैं।

 

2016 में बिजली गिरने से मप्र में सबसे ज्यादा मौतें हुईं

 

2001 से लेकर 2024 तक पिछले 23 सालों में मध्यप्रदेश मे आसमानी बिजली से 9000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इसमें सबसे ज्यादा 639 मौतें साल 2016 में हुई। 2001 से बिजली गिरने से होने वाली मौतों का आंकड़ा 43 फीसदी बढ़ चुका है। पिछले साल लाइटनिंग स्ट्राइक से 496 लोगों की मौत हुई। इसके साथ ही अगर पशुओं की बात करें तो हर वर्ष करीब 3000 जानवरों की मृत्यु बिजली गिरने से हो जाती है इसमें गाय, भेंस बकरी जैसे पालतू जानवर शामिल हैं। मप्र में दो स्ट्रॉन्ग सिस्टम करा रहे बारिश सीनियर मौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा ने बताया कि वर्तमान में साइक्लोनिक सर्कुलेशन और ट्रफ लाइन की वजह से एमपी में भी स्ट्रॉन्ग सिस्टम है। इस वजह से पूरे प्रदेश में मौसम बदला हुआ है। कहीं, तेज तो कहीं हल्की बारिश हो रही है। अगले कुछ दिन तक यह सिस्टम एक्टिव रहेगा। मप्र में पिछले 10 साल के अंदर मौतें 2014 - 406 2015 - 475 2016 - 639 2017 - 452 2018 - 381 2019 - 400 2020 - 429 2021 - 496 2022 - 496 2023 - 436

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