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  • Monday, Dec 23, 2024

10 महीने से पृथ्वी के तापमान की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज

by NewsDesk - 11 Apr 24 | 188

वाशिंगटन । ताजा आंकड़ों से पता चला है कि बीता मार्च महीना धरती के अब तक के रिकॉर्ड में सबसे गर्म मार्च रहा है। पिछले 10 महीने से लगातार पृथ्वी के तापमान की रिकॉर्ड संख्या में वृद्धि हुई है। इस बदलाव से वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों में इस बात को लेकर चिंता बढ़ गई है कि दुनिया और तेजी से जलवायु परिवर्तन के एक नए युग में प्रवेश कर सकती है। हाल की गर्मी के पीछे अल नीनो को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। ऐसा माना जाता है कि आने वाले महीनों में अल नीनो के खत्म होने के बाद तापमान में अस्थायी रूप से कमी होनी चाहिए, हालांकि कुछ वैज्ञानिक इस बात से चिंतित हैं कि ऐसा नहीं होने जा रहा। गेमिन श्मिट नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज के निदेशक हैं। उन्होंने बीबीसी न्यूज से बातचीत में कहा, अगर हम अभी गर्मियों के अंत तक भी उत्तरी अटलांटिक या अन्य जगहों पर रिकॉर्ड तोड़ने वाले तापमान को देख रहे हैं तो हम वास्तव में अज्ञात क्षेत्र में चले गए हैं। जलवायु परिवर्तन पर नजर रखने वाली यूरोपीय एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के अनुसार, पूर्व औद्यौगिक काल के मार्च की तुलना में साल 2024 का मार्च 1.68 सेल्सियस गर्म था।

 

हालांकि, बहुत शोधकर्ता अभी भी यह नहीं मानते हैं कि जलवायु एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है। वे गर्म होती धरती के दीर्घकालिक रुझानों को उम्मीदों के अनुरूप मानते हैं। लेकिन वैज्ञानिक अभी भी यह नहीं बता पा रहे हैं कि साल 2023 का आखिरी समय इतना गर्म क्यों होने लगा था। मार्च में होने वाली गर्मी को वैज्ञानिक अपेक्षित मानते हैं, क्योंकि अलनीनो पिछले साल जून में शुरू हुआ था और दिसम्बर में अपने चरम पर था। वैज्ञानिकों को हैरानी सितम्बर के आसपास तापमान के तेजी से बढ़ने को लेकर है। उस समय तक अलनीनो विकसित नहीं हुआ था, इसलिए लगातार गर्मी बढ़ने का कारण समझ नहीं आता।

 

यही वजह है कि वैज्ञानिक भविष्यवाणियों को लेकर बहुत चिंतित हैं। बीबीसी से डॉक्टर श्मिट ने बताया कि 2023 को लेकर हमारे अनुमान बहुत आश्चर्यजनक रूप से गलत रहे और यदि पिछले आंकड़े काम नहीं करते हैं तो भविष्य के बारे में बताना बहुत कठिन होगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस वर्ष के आखिर तक अलनीनो के कमजोर होने से स्थिति में सुधार होगा। समुद्र की सतह के ठंडा होने से आम तौर पर वैश्विक वायु तापमान में अस्थायी गिरावट देखी जाएगी, लेकिन यह देखना बाकी है कि यह कैसे होगा।

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